राजस्थान के जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में कार्यरत व्याख्याता शंकर बगड़िया के दिन की शुरुआत भी ‘जन्मदाता आप ही माता-पिता-भगवान हो.. आपके उपकार का हम ऋण चुका सकते नहीं’ सरीखे भजनों से होती है। खास बात यह है कि उन्होंने माता-पिता के जीवनभर में काम लेने वाली दैनिक उपयोग की सामग्री से संग्रहालय भी बना दिया है।
बकौल बगड़िया, मां के संस्कार और पिता के आदर्श और अनुशासन की राहों से और भी लोगों को प्रेरणा मिल सके, इसलिए पिछले साल मंदिर तैयार कराया था। मंदिर में दिनभर माता-पिता भक्ति के भजन भी गूंजते हैं। शंकर के इस जुनून और माता-पिता के मंदिर को देखते के लिए दूर-दराज से भी लोग पहुंचते हैं।
उनके पिता लक्ष्मणराम ने सेना में लंबे समय तक सेवाएं दीं। इलाके के युवाओं को उन्होंने हमेशा समय प्रबंधन के साथ देशभक्ति का पाठ पढ़ाया था। इसलिए क्षेत्र के युवाओं के लिए वह आज भी रोल मॉडल है। मां कस्तूरी देवी ने संस्कारों की सीख दी। मंदिर की नियमित पूजा- अर्चना में बहू अनिता बगड़िया भी पति का पूरा हाथ बंटाती है। उन्होंने बताया कि सास ससुर की स्मृति में हर साल दो हजार से अधिक विद्यार्थियों को एजुकेशन छात्रवृत्ति भी उपलब्ध कराई जाती है।
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सुबह-शाम आरती, अलवर में तैयार हुई मूर्त
मंदिर में रोजाना सुबह-शाम आरती होती है। माता-पिता की मूर्तियां अलवर जिले के एक कारीगर ने तैयार की है। गांव के लोगों ने बताया कि पहले बुजुर्गों की याद में छतरी बनाने की परम्परा थी। इस तरह मंदिर की पहल पहली बार हुई है। यह भी पढ़ें