यह भी पढें : प्रदेश में जम्मू कश्मीर से बने फर्जी लाइसेंस से एकत्र किया जा रहा था हथियारों का जखीरा एटीएस एसपी विकास कुमार ने बताया कि राहुल ग्रोवर, जुबेर के बीच की कड़ी विशाल है। विशाल ही दोनों के बीच मध्यस्थता करता था। तीनों को आमने-सामने बैठाकर पूछताछ की जा रही है। जिसमें अवैध लाइसेंस बनाने और फिर उन्हें बेचना शामिल है। दोनों ने बीते चार-पांच साल में कितने अवैध हथियार के लाइसेंस दिए। इसके साथ ही उन्होंने इन हथियार धारकों को कितने कारतूस दिए। उन कारतूसों का कहां पर उपयोग किया गया। आशंका है कि गिरोह ने राज्य के बड़े बदमाश और गिरोह को हथियार व कारतूस की आपूर्ति की हो। इसके साथ ही एटीएस को
अजमेर कलेक्टर और एसपी की रिपोर्ट का भी इंतजार है।
यह भी पढें : नशे में पत्नी से मोबाइल पर बात करते हुए मकान की बालकॉनी से गिरा इंजीनियर, मौत पत्नी से छुपा रखा था गलत काम एटीएस की पूछताछ में राहुल ग्रोवर कई बार भावुक हो जाता है। वह कहता है कि उसके अवैध हथियार की लाइसेंस और बेचने के काम की पत्नी को जानकारी नहीं है। पत्नी उसे निर्दोष समझ रही है। उसने उसे इस काम के बारे में बताया होता तो वह शायद उसे माफ कर देती। यह गलती मुझे नहीं करनी चाहिए थी। उसे पत्नी को हर काम के बारे में बताना चाहिए था, ताकि एेसे समय में पत्नी संभल कर काम करती।
यह भी पढें : नोटों की गड्डियां देख डोला मन, सोते हुए मालिक का काटा गला पकड़ गया लेकिन नहीं छोड़ाराहुल ने यह भी खुलासा किया है कि अवैध लाइसेंस के काम से पहले दिल्ली में भी एक होटल में नौकरी करके गया था। वहीं जुबेर के खिलाफ 2006 में सीबीआई ने फर्जी लाइसेंस का केस लिखा था। फिर भी जुबेर ने इस गोरखधंधा नहीं छोड़ा। वह लगातार हथियार के काम में लगा था।
यह भी पढें : जयपुर में कर्ज ने ली एक और जान, ज्वैलर ने तेजाब पीकर दम तोड़ा हर संदिग्ध को नोटिस देने की तैयारी एटीएस सूत्रों के मुताबिक, राहुल, जुबेर, विशाल और गणपत से करीब 750 से अधिक अवैध लाइसेंस मिले हैं। जिनके बारे में जानकारी जुटा कर अब उन सभी हथियार लाइसेंस धारकों को नोटिस देकर पूछताछ की तैयारी की जा रही है। जिन्होंने इस गिरोह से हथियार का लाइसेंस खरीदा था। इसी कड़ी में एटीएस ने पूछताछ के लिए हर संदिग्ध सैन्यकर्मी व अधिकारी के बारे में जानकारी जुटा रही है, जो इस गिरोह से जुडे थे।