जेल की सलाखों के पीछे बंद अपने भाई को देखना शायद हर बहन के लिए चुनौतीपूर्ण होता है, लेकिन आज उन्होंने त्योहार की मर्यादा निभाई। बहनों ने सजी-धजी थालियों में तिलक और मिठाई के साथ प्रवेश किया। जैसे ही भाई के माथे पर तिलक का शुभ चिन्ह लगाया और उसे मिठाई का एक टुकड़ा खिलाया, दोनों की आंखें एक-दूसरे के दर्द और प्रेम को पढ़ने लगीं। जेल के सख्त नियमों के बावजूद इस विशेष दिन पर कुछ ढील दी गई थी, ताकि भाई-बहन का यह पवित्र मिलन संभव हो सके।
जेल प्रशासन ने त्योहार के महत्व को समझते हुए विशेष इंतजाम किए। हर बहन को अपने भाई के लिए केवल सीमित मिठाई और उपहार ही लाने की अनुमति थी, जो जांच के बाद ही भाई तक पहुंचाई गई। इस दौरान कई बहनों ने अपने भाई के प्रति भावनाओं को साझा किया, तो कुछ अपने आंसू पोछते हुए अपने भाई से विदा लीं। भले ही कुछ पलों के लिए मिले हों, लेकिन इस मुलाकात ने भाई-बहन के दिलों में एक अनमोल याद के रूप में बस गई।
रक्षाबंधन और भाई दूज जैसे पवित्र त्योहारों पर जेल का वातावरण भी परिवार के आशीर्वाद और प्रेम से भर जाता है। इन त्योहारों पर जेल प्रशासन द्वारा विशेष रूप से चार से पांच बजे तक मिलने का समय दिया जाता है, ताकि भाई-बहन का यह रिश्ता समय की सीमाओं से ऊपर उठकर जुड़ा रहे।