इस बीच पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बुधवार देर रात जयपुर से दिल्ली पहुंचने को भी प्रेशर पॉलिटिक्स से जोडक़र देखा जा रहा है। कुछ सांसदों ने कहा कि आलाकमान नया चेहरे को राजस्थान में लाना चाहता है, लेकिन जयपुर में चल रही गतिविधियां आलाकमान को चुनौती देने की कोशिश कर रही हैं। सांसदों का कहना है कि शीर्ष नेतृत्व की ओर से सीएम पद की घोषणा को भाजपा के 115 विधायकों का समर्थन मिलना तय है। इस बीच गुरुवार को दिन भर दिल्ली में मौजूद राजे की गतिविधियों की चर्चा सांसदों के बीच होती रही।
-अब सिर्फ समझाइश ही होगी संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान देश भर के सांसदों में मध्यप्रदेश और छतीसगढ़ के बजाय सर्वाधिक चर्चा राजस्थान को लेकर है। एक सांसद ने कहा कि विधायक दल की बैठक में मुख्यमंत्री का चयन होगा। लेकिन इससे पहले चल रही राजनीतिक गतिविधियों पर पैनी नजर रखी जा रही है। पूर्वी राजस्थान से आने वाले एक सांसद ने कहा कि सीएम की घोषणा से पहले ही इस तरह की दावेदारी का तरीका भाजपा में सफल नहीं होता।
-अन्य दावेदार रहेंगे पार्टी लाइन पर! सांसदों के अनुसार पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती लोकसभा चुनाव हैं। अभी पहली कोशिश सीएम के सभी दावेदारों को साथ लेकर चलने की है। सांसदों का मानना है कि अन्य अधिकांश दावेदार सीएम का नाम सामने आने के बाद पार्टी लाइन के आधार पर ही चलेंगे। इस बीच राजे गुरुवार को दिन भर दिल्ली में रहीं। उनकी गतिविधियों पर भी शीर्ष नेतृत्व सहित बड़े नेताओं की नजर बनी रही।
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