जयपुर

जयपुर में साउथ एशिया एनर्जी फोरम में जुटे एक्सपर्ट

 जलवायु परिवर्तन से जूझ रहे भारत समेत दक्षिण एशिया के देशों में क्लीन एनर्जी (स्वच्छ ऊर्जा) ही एक मात्र समाधान है। इसके लिए तीन नए तरीके से काम होगा। इसमें लो-कार्बन कम्फर्ट एंड कूलिंग कलेक्टिव, शहरों के पर्यावरण अनुकूल विकास पर अमरीका-दक्षिण एशिया मेयरल और क्लीन एनर्जी इन्वेस्टमेंट फैसिलिटेशन प्लेटफॉर्म बनेंगे। यह संगठन बढ़ते तापमान, ऊर्जा की बढ़ती मांग और पर्यावरण के अनुकूल मूलभूत ढांचे की जरूरत जैसी चुनौतियों पर काम रहेगा।

जयपुरOct 23, 2024 / 06:28 pm

GAURAV JAIN

‘चुनौती बन रही ऊर्जा की बढ़ती मांग और तापमान, क्लीन एनर्जी ही समाधान’

भूटान, नेपाल, मालदीव, श्रीलंका, बांग्लादेश के एक्सपर्ट के बीच चर्चा

जयपुर. जलवायु परिवर्तन से जूझ रहे भारत समेत दक्षिण एशिया के देशों में क्लीन एनर्जी (स्वच्छ ऊर्जा) ही एक मात्र समाधान है। इसके लिए तीन नए तरीके से काम होगा। इसमें लो-कार्बन कम्फर्ट एंड कूलिंग कलेक्टिव, शहरों के पर्यावरण अनुकूल विकास पर अमरीका-दक्षिण एशिया मेयरल और क्लीन एनर्जी इन्वेस्टमेंट फैसिलिटेशन प्लेटफॉर्म बनेंगे। यह संगठन बढ़ते तापमान, ऊर्जा की बढ़ती मांग और पर्यावरण के अनुकूल मूलभूत ढांचे की जरूरत जैसी चुनौतियों पर काम रहेगा। यूनाइटेड स्टेटस एजेंसी फोर इंटरनेशनल डवलपमेंट (यूएसएआईडी) की ओर से जयपुर में ‘साउथ एशिया एनर्जी फोरम’ के तीन दिवसीय कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में इन तीन नई पहल की घोषणा की गई।
भारत में यूएस के राजदूत एरिक गार्सेटी ने कहा कि ये तीनों काम यूएस सरकार की पॉलिसी का भी हिस्सा है। इसलिए कूलिंग कलेक्टिव प्रोग्राम के माध्यम से वर्ष 2030 तक सुपर एफिशिएंट कूलिंग तकनीक के लिए एक बिलियन डॉलर जुटाने का टारगेट तय किया गया है। इस दौरान नवाचार, सहयोग और निवेश के लिए एक समान रोड मैप बनाने पर चर्चा हुई।
नवीकरणीय ऊर्जा के लिए करेंगे नेट जीरो का लक्ष्य: ऊर्जा मंत्री

ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर ने कहा कि भारत में स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता 200 गीगावाट से अधिक हो गई है और राजस्थान 29.85 गीगावाट के जरिए सर्वाधिक योगदान दे रहा है। वर्ष 2030 तक भारत की ऊर्जा जरूरतों का 50 प्रतिशत हिस्सा नवीकरणीय ऊर्जा से पूरा करने और कार्बन उत्सर्जन को एक अरब टन कम करने का टारगेट है। उन्होंने नेपाल, भूटान, श्रीलंका, मालदीव, बांग्लादेश आदि के प्रतिनिधियों को एक मंच पर लाने के लिए अमरीकी राजदूत का धन्यवाद दिया।
पश्चिमी राजस्थान में लगेगा 60 गीगावाट क्षमता का संयंत्र

राजस्थान में अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में तीन लाख करोड़ रुपए के निवेश के एमओयू पर मंगलवार को मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और यूएई के निवेश मंत्री मोहम्मद हसन अल सुवैदी की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गए। यह निवेश प्रदेश के पश्चिमी जिलों में 60 गीगावाट क्षमता की सोलर, विंड एवं हाईब्रिड परियोजना की स्थापना के लिए किया जाएगा।
यूएई के निवेश मंत्री मोहम्मद हसन अल सुवैदी और उद्योग विभाग के प्रमुख सचिव अजिताभ शर्मा ने इस एमओयू पर हस्ताक्षर किए। करार के तहत अक्षय ऊर्जा की आधुनिकतम तकनीक का उपयोग होगा। इस परियोजना की स्थापना से प्रदेश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा किया जा सकेगा। इस पहल के अंतर्गत यूएई एक योग्य एवं सक्षम डवलपर की नियुक्ति भी करेगा, जो प्रदेश में शासन-प्रशासन के स्तर पर समन्वय स्थापित कर परियोजना को तेजी से साकार करेगा।
विदेशी सरकारें खुद आगे बढ़कर कर रहीं राजस्थान में निवेश

मुख्यमंत्री ने कहा कि राइजिंग राजस्थान इन्वेस्टमेंट समिट के तहत किए जा रहे प्रयासों से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश में निवेश की विश्वसनीयता बढ़ी है। समिट के तहत अब तक बहुराष्ट्रीय कंपनियों की ओर से निवेश किया जा रहा था, लेकिन अब एक कदम आगे बढ़कर‘संयुक्त अरब अमीरात सरकार’ ने सरकारी फंड से प्रदेश में निवेश के लिए यह महत्वपूर्ण एमओयू किया है। इस एमओयू के तहत राज्य में अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में तीन लाख करोड़ रुपए का निवेश आएगा।
देश में 500 और प्रदेश में 250 गीगावाट के लगेंगे सोलर प्लांट

केन्द्र सरकार ने देश में 500 गीगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए राजस्थान को 250 गीगावाट के सोलर प्लांट लगाने होंगे। यूएई के साथ यह साझेदारी इस लक्ष्य को हासिल करने में महत्वपूर्ण कदम साबित होगी। यह परियोजना ऊर्जा उत्पादन में वांछित बदलाव लेकर आएगी। साथ ही इससे राजस्थान ऊर्जा नवाचारों के मॉडल के तौर पर भी उभरेगा। सीएम ने कहा कि राज्य सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के साथ 2 लाख 24 हजार करोड़ रुपए के एमओयू किए हैं। लगभग 10 महीने के कार्यकाल में 32 हजार मेगावाट के संयंत्र लगाने के एमओयू किए जा चुके हैं।

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