काउंसलेट जनरल सतवंत खनालिया ने कहा कि वे बचपन से लक्ष्मण के व्यंग्य और कार्टून कला की प्रशंसक हैं। वे विजनरी थे और साठ व सत्तर वर्ष पहले उन्होंने अपने कार्टून्स में जो चित्रित किया है वे मुद्दे आज भी प्रासंगिक हैं। प्रदर्शनी के लिए जयपुर निवासी डॉ. धर्मेंद्र भंडारी के प्रयासों की सराहना करते हुए खनालिया ने कहा कि इस तरह के आयोजन दुनियाभर में किए जाने चाहिए।
प्रदर्शनी के क्यूरेटर और ‘आर.के. लक्ष्मण- दी अनकॉमन मैन’ पुस्तक के लेखक भंडारी ने कहा कि लक्ष्मण के कार्टून्स की खूबसूरती यह थी कि वे नेताओं पर व्यंग्य कसते थे, लेकिन जिन नेताओं पर कार्टून बनाते थे, वे भी अपने को प्रिविलेज्ड महसूस किया करते थे कि लक्ष्मण ने उन्हें किरदार के रूप में चित्रित किया। उनके कार्टून्स बुद्दिजीवियों से लेकर आम आदमी तक को कनेक्ट करते थे।
लक्ष्मण के कार्टून्स में अमरीका और ब्रिटेन की नीतियों को लेकर भी कटाक्ष होता था, लेकिन इन देशों के उच्चायुक्त और राजदूत अपने शासनाध्यक्षों को भेंट करने के लिए उनके कार्टून्स की मांग करते थे। इस दौरान लक्ष्मण की जीवनी ‘ आरके लक्ष्मण: बैक विद् ए पंच’ पर ऑनलाइन चर्चा भी हुई। इस चर्चा में मशहूर कार्टूनिस्ट ई.पी. उन्नी भी शामिल हुए।