पढ़ाई के बाद उसके पास मोटे पैकेज की नौकरी का ऑफर था परन्तु उसका लक्ष्य कुछ और था। ऑफर ठुकरा कर उसने ऐसी अनजान राह चुनी जो जोखिम से भरी थी। इसमें कचरे और गंदगी से जूझना था, दुर्गंध सहना था। निवेधा के मन में आईटी सिटी ही नहीं देश को कचरा मुक्त करने की धुन सवार थी।
शुरुआत में हर मोड़ पर लोगों ने हतोत्साहित किया, विफलताओं ने दिल तोड़ा…..सपने टूटे मगर हौसला कम नहीं हुआ…… आज निवेधा ने दुनिया का पहला कचरा पृथक्करण उपकरण (वेस्ट सेग्रीगेटर) ‘ट्रैशबॉट तैयार कर लिया है जो न सिर्फ गीले और सूखे कचरे को अलग-अलग करता है बल्कि उसकी रिसाइक्लिंग कर कमाई का जरिया भी बन रहा है। इसका पेटेंट निवेधा के नाम है।
उनकी इस मुहिम में कदम-दर-कदम उनके साथ हैं जोधपुर(राजस्थान) के सौरभ जैन….. सौरभ ने इंजीनियरिंग के बाद चार्टर्ड एकाउंटेंट की पढ़ाई की और करोड़ों का पैकेज छोड़कर इस अभियान से जुड़ गए……जो काम दुनिया का कोई देश नहीं कर पाया उसे हमारे युवा इंजीनियरों ने कर दिखाया।