scriptअवरोधक नहीं हटे तो रीता ही रह जाएगा तालाब | Encroachment in the inward area of Gauri Shankar lake | Patrika News
जयपुर

अवरोधक नहीं हटे तो रीता ही रह जाएगा तालाब

नरैना कस्बे में निर्माणाधीन रेलवे लाइन और ओवरब्रिज के कारण बंद हुई गौरी शंकर तालाब की मोरियां

जयपुरApr 21, 2018 / 12:09 pm

Deendayal Koli

lake
जयपुर

जयपुर जिले के नरैना कस्बा स्थित गौरी शंकर तालाब के आवक क्षेत्र में पहले ही अतिक्रमण पसरा हुआ है जबकि अब नए निर्माण भी अवरोध बनते जा रहे हैं। इससे एक बार फिर तालाब के रीता रहने की आशंका बनती जा रही है। जबकि क्षेत्र में यह एकमात्र जलस्रोत है। दरअसल, यहां रेलवे लाइन और ओवरब्रिज का निर्माण किया जा रहा है जो तालाब के आवक क्षेत्र में रोड़ा बन सकते हैं। लेकिन स्थानीय प्रशासन और अधिकारी भी इसकी मॉनिटरिंग नहीं कर रहे हैं। हालात यह है कि रेलवे लाइन के नीचे बनाई मोरियो का लेवल सही नहीं बनाया गया है। मोरियो से बारिश का पानी निकलने की उचित व्यवस्था नहीं की गई है। मोरियो का लेवल जमीन से 7 फीट गहरा किया गया है। इतना ही नहीं तालाब के आवक क्षेत्र के चरागाह पर भी अतिक्रमण पसरता जा रहा है। लेकिन अतिक्रमियों पर कोई लगाम नहीं लग पा रही है। जबकि ग्रामीण उच्च अधिकारियों को लिखित शिकायत करके कई बार चेता चुके हैं। ग्रामीणों का कहना है कि अगर प्रशासन की ओर से जल्द से जल्द तालाब के आवक क्षेत्र से अवरोधक नहीं हटाए गए तो तालाब रीता ही रह जाएगा।
55 बीघा क्षेत्र में फैला है तालाब

नरैना स्थित गौरी शंकर तालाब तकरीबन 55 बीघा क्षेत्र में फैला हुआ है। तालाब के चारों ओर पुख्ता पाल बनी है। इससे तालाब की खूबसूरती पर चार चांद लग जाते हैं। इसके पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र माना जाता है। पुरातत्व विभाग व पर्यटन विभाग की ओर से तालाब कासौंदर्यीकरण भी किया जा रहा है।
यह है पानी की आवक के मुख्य स्रोत

तालाब में रेलवे लाइन के उत्तर दिशा में स्थित चरागाह व खेतों से होकर आने वाला पानी तालाब का मुख्य आवक क्षेत्र है। इसके अलावा पास ही स्थित आमोलाव तालाब के ओवरफ्लो होने पर नहर के माध्यम से पानी तालाब में पहुचता है। लेकिन आवक क्षेत्र में सबसे बड़े अवरोधक अतिक्रमण बने हुए हैं।
इसलिए जरूरी है तालाब में पानी की आवक

फुलेरा व दूदू विधानसभा क्षेत्र के सैकड़ों गांव डार्क जोन घोषित हो चुके हैं। ऐसे में जल दोहन करने पर मनाही है। डार्क जोन होने के कारण पानी की कमी के चलते खेती का रकबा भी धीरे-धीरे कम होता जा रहा है। इधर, विशेषज्ञों का कहना है कि अगर तालाब के कैचमेंट एरिया से अतिक्रमण हटाकर व नवनिर्मित मोरियो का लेवल सही कर दिया जाए तो तालाब में पानी आ सकता है। इससे क्षेत्र के लोगों को पीने का पानी भी मिलेगा और खेती को भी नया जीवन मिल सकता है।
चरागाह भूमि तालाब का कैचमेंट एरिया है। मेरी जानकारी में यहां कोई नया अतिक्रमण नहीं है। अगर रेलवे ने निर्माण कार्य के दौरान मोरियो का लेवल सही नहीं बनाया है तो मौका मुआयना कर जल्द ही कार्रवाई करके उसे दुुरुस्त करवाया जाएगा। – घनश्याम माहेश्वरी, तहसीलदार, सांभरलेक
ग्रामीणों ने तालाब के कैचमेंट एरिया में अतिक्रमण की शिकायत की है। साथ ही बताया है कि रेलवे ने भी निर्माण कार्य के दौरान तालाब के आवक क्षेत्र को नजरअंदाज किया है। अधिकारियों से कार्रवाई के लिए कहा जाएगा। – निर्मल कुमावत, विधायक, फुलेरा

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