55 बीघा क्षेत्र में फैला है तालाब नरैना स्थित गौरी शंकर तालाब तकरीबन 55 बीघा क्षेत्र में फैला हुआ है। तालाब के चारों ओर पुख्ता पाल बनी है। इससे तालाब की खूबसूरती पर चार चांद लग जाते हैं। इसके पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र माना जाता है। पुरातत्व विभाग व पर्यटन विभाग की ओर से तालाब कासौंदर्यीकरण भी किया जा रहा है।
यह है पानी की आवक के मुख्य स्रोत तालाब में रेलवे लाइन के उत्तर दिशा में स्थित चरागाह व खेतों से होकर आने वाला पानी तालाब का मुख्य आवक क्षेत्र है। इसके अलावा पास ही स्थित आमोलाव तालाब के ओवरफ्लो होने पर नहर के माध्यम से पानी तालाब में पहुचता है। लेकिन आवक क्षेत्र में सबसे बड़े अवरोधक अतिक्रमण बने हुए हैं।
इसलिए जरूरी है तालाब में पानी की आवक फुलेरा व दूदू विधानसभा क्षेत्र के सैकड़ों गांव डार्क जोन घोषित हो चुके हैं। ऐसे में जल दोहन करने पर मनाही है। डार्क जोन होने के कारण पानी की कमी के चलते खेती का रकबा भी धीरे-धीरे कम होता जा रहा है। इधर, विशेषज्ञों का कहना है कि अगर तालाब के कैचमेंट एरिया से अतिक्रमण हटाकर व नवनिर्मित मोरियो का लेवल सही कर दिया जाए तो तालाब में पानी आ सकता है। इससे क्षेत्र के लोगों को पीने का पानी भी मिलेगा और खेती को भी नया जीवन मिल सकता है।
चरागाह भूमि तालाब का कैचमेंट एरिया है। मेरी जानकारी में यहां कोई नया अतिक्रमण नहीं है। अगर रेलवे ने निर्माण कार्य के दौरान मोरियो का लेवल सही नहीं बनाया है तो मौका मुआयना कर जल्द ही कार्रवाई करके उसे दुुरुस्त करवाया जाएगा। – घनश्याम माहेश्वरी, तहसीलदार, सांभरलेक
ग्रामीणों ने तालाब के कैचमेंट एरिया में अतिक्रमण की शिकायत की है। साथ ही बताया है कि रेलवे ने भी निर्माण कार्य के दौरान तालाब के आवक क्षेत्र को नजरअंदाज किया है। अधिकारियों से कार्रवाई के लिए कहा जाएगा। – निर्मल कुमावत, विधायक, फुलेरा