स्टैच्यू ऑफ यूनिटी
कहां-सरदार सरोवर बांध, गुजरात
कब शुरू हुआ: 31 अक्टूबर, 2018
क्या खास: दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा
लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की 182 मीटर ऊंची प्रतिमा, जो 85 फीसदी तांबे से बनी है। यह अमरीका की स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से लगभग दोगुनी ऊंची है, जो 93 मीटर की है। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को बनाने में 44 माह लगे। गैलरी, सरदार सरोवर बांध, सतपुड़ा और विंध्य पर्वत शृंखलाओं का सुंदर नजारा देख सकते हैं।
कहां-सरदार सरोवर बांध, गुजरात
कब शुरू हुआ: 31 अक्टूबर, 2018
क्या खास: दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा
लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की 182 मीटर ऊंची प्रतिमा, जो 85 फीसदी तांबे से बनी है। यह अमरीका की स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से लगभग दोगुनी ऊंची है, जो 93 मीटर की है। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को बनाने में 44 माह लगे। गैलरी, सरदार सरोवर बांध, सतपुड़ा और विंध्य पर्वत शृंखलाओं का सुंदर नजारा देख सकते हैं।
जटायु नेचर पार्क (जटायु अर्थ सेंटर)
कहां-कोल्लम, केरल
कब शुरू हुआ: 17 अगस्त, 2018
क्या खास: पक्षी का सबसे बड़ा स्कल्पचर
कोल्लम जिले के चदयामंगलम गांव की पहाडिय़ों में 65 एकड़ में बना है जटायु पार्क। इसमें जटायु की 200 फीट लंबी, 150 फीट चौड़ी और 70 फीट ऊंची मूर्ति बनाई गई है। इस पार्क को बनाने में 10 वर्ष लगे। यह वही जगह हैं, जहां वह माता सीता को बचाते वक्त रावण के प्रहार से जख्मी होकर गिरा था। बताते हैं यहीं जटायु ने प्राण त्यागे थे।
कहां-कोल्लम, केरल
कब शुरू हुआ: 17 अगस्त, 2018
क्या खास: पक्षी का सबसे बड़ा स्कल्पचर
कोल्लम जिले के चदयामंगलम गांव की पहाडिय़ों में 65 एकड़ में बना है जटायु पार्क। इसमें जटायु की 200 फीट लंबी, 150 फीट चौड़ी और 70 फीट ऊंची मूर्ति बनाई गई है। इस पार्क को बनाने में 10 वर्ष लगे। यह वही जगह हैं, जहां वह माता सीता को बचाते वक्त रावण के प्रहार से जख्मी होकर गिरा था। बताते हैं यहीं जटायु ने प्राण त्यागे थे।
चंबल रिवर फ्रंट
कहां- कोटा, राजस्थान
कब शुरू हुआ: 12 सितंबर, 2023
क्या खास : 22 घाट, चंबल माता की प्रतिमा
बेशुमार खूबियों के कारण कोटा का नवनिर्मित चंबल रिवर फ्रंट पहले ही दिन से सैलानियों को लुभा रहा है। वसुधैव कुटुंबकम की थीम पर तैयार रिवर फ्रंट के दो छोर और 22 घाट हैं। सभी की अलग कहानी है। संगमरमर से बनी 242 फीट की चंबल माता की मूर्ति विशेष आकर्षण है। यहां एक बार में 10 से 15 हजार सैलानी घूम सकते हैं।
कहां- कोटा, राजस्थान
कब शुरू हुआ: 12 सितंबर, 2023
क्या खास : 22 घाट, चंबल माता की प्रतिमा
बेशुमार खूबियों के कारण कोटा का नवनिर्मित चंबल रिवर फ्रंट पहले ही दिन से सैलानियों को लुभा रहा है। वसुधैव कुटुंबकम की थीम पर तैयार रिवर फ्रंट के दो छोर और 22 घाट हैं। सभी की अलग कहानी है। संगमरमर से बनी 242 फीट की चंबल माता की मूर्ति विशेष आकर्षण है। यहां एक बार में 10 से 15 हजार सैलानी घूम सकते हैं।
नेशनल वॉर मेमोरियल
कहां- कत्र्तव्य पथ, नई दिल्ली
कब शुरू हुआ : 25 फरवरी, 2019
क्या खास : शहीदों के बलिदान की गाथा
सेना ने पहली बार 1960 में स्मारक बनाने का प्रस्ताव रखा था, जिसे 2015 में मंजूरी दी गई। युद्ध स्मारक पर 25 हजार 900 सैनिकों के बलिदान को दर्शाया गया है। इसमें 16 दीवारें और चार चक्र बनाए गए हैं। अमर चक्र, वीरता चक्र, त्याग चक्र और रक्षक चक्र।
कहां- कत्र्तव्य पथ, नई दिल्ली
कब शुरू हुआ : 25 फरवरी, 2019
क्या खास : शहीदों के बलिदान की गाथा
सेना ने पहली बार 1960 में स्मारक बनाने का प्रस्ताव रखा था, जिसे 2015 में मंजूरी दी गई। युद्ध स्मारक पर 25 हजार 900 सैनिकों के बलिदान को दर्शाया गया है। इसमें 16 दीवारें और चार चक्र बनाए गए हैं। अमर चक्र, वीरता चक्र, त्याग चक्र और रक्षक चक्र।
इधर यूरोप ओवर टूरिज्म से परेशान, कर बढ़ाने की तैयारी
-पर्यावरण को बढ़ रहा खतरा
एक ओर जहां पूरी दुनिया पर्यटन बढ़ाने के प्रयास कर रही है, वहीं यूरोप के कई देश ओवर टूरिज्म से परेशान हैं। यूरोप के कई शहरों में वहां की आबादी से ज्यादा पर्यटक आ रहे हैं, जो वहां संसाधनों पर भारी पड़ रहे हैं। मसलन, वेनिस की आबादी 50 हजार के आसपास है और 2019 में यहां 55 लाख से ज्यादा सैलानी आए। अकेले ग्रीस में पिछले साल दस लाख सैलानी आए। स्थानीय लोगों का कहना है कि उनका शहर तो उनका रहा ही नहीं। इसी तरह एथेंस, फ्लारेंस, रोम और फ्रांस के कई शहरों में ओवर टूरिज्म को कम करने के लिए शुल्क बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है। दूसरी वजह, पर्यावरण प्रदूषण है। अत्यधिक पर्यटकों की आवाजाही से जहां स्वच्छता प्रभावित हो रही है, वहीं विमानों, क्रूज आदि के चलते कार्बन उत्सर्जन बढ़ गया, जिससे कई पर्यटन स्थलों की आबोहवा खराब हो रही है।
-पर्यावरण को बढ़ रहा खतरा
एक ओर जहां पूरी दुनिया पर्यटन बढ़ाने के प्रयास कर रही है, वहीं यूरोप के कई देश ओवर टूरिज्म से परेशान हैं। यूरोप के कई शहरों में वहां की आबादी से ज्यादा पर्यटक आ रहे हैं, जो वहां संसाधनों पर भारी पड़ रहे हैं। मसलन, वेनिस की आबादी 50 हजार के आसपास है और 2019 में यहां 55 लाख से ज्यादा सैलानी आए। अकेले ग्रीस में पिछले साल दस लाख सैलानी आए। स्थानीय लोगों का कहना है कि उनका शहर तो उनका रहा ही नहीं। इसी तरह एथेंस, फ्लारेंस, रोम और फ्रांस के कई शहरों में ओवर टूरिज्म को कम करने के लिए शुल्क बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है। दूसरी वजह, पर्यावरण प्रदूषण है। अत्यधिक पर्यटकों की आवाजाही से जहां स्वच्छता प्रभावित हो रही है, वहीं विमानों, क्रूज आदि के चलते कार्बन उत्सर्जन बढ़ गया, जिससे कई पर्यटन स्थलों की आबोहवा खराब हो रही है।