खरीदे निगम और भुगते उपभोक्ता राजस्थान में बिजली उत्पादन कम्पनियां जब कभी महंगा कोयला खरीदती है तो उसका खामियाजा उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ता है। इस बार वसूले जा रहे फ्यूल सरचार्ज में भी ऐेसा ही हुआ है। विद्युत वितरण निगम के आला अधिकारियों का कहना है कि वर्ष 2021 के दौरान जनरेशन कम्पनियों ने तय दाम से अधिक कीमतों पर कोयले की खरीद की थी। उसी राशि को उपभोक्ताओं से वसूला जा रहा है। अधिकारियों का तर्क है कि महंगा कोयला उपभोक्ताओं को बिजली उपलब्ध कराने के लिए ही खरीदा गया था और अब वसूली भी उन्हीं से की जा रही है। इस वसूली को फ्यूल सरचार्ज के रूप में वसूला जाता रहा है।
अगले तीन माह तक वसूली राजस्थान में कोयला संकट के दौरान बिजली की डिमांड और आपूर्ति में बड़ा अंतर होने के बाद बिजली कम्पनियों ने उपभोक्ताओं को राहत की बजाय हाथ खड़े करते हुए ग्रामीण इलाकों में जमकर बिजली कटौती की थी और कहा था कि हम तो उपभोक्ताओं को राहत देना चाहते हैं जबकि केन्द्र सरकार से कोयले की रैक नहीं मिल रही है। अब बिजली का संंकट खत्म हुआ तो बिजली कम्पनियों ने उपभोक्ताओं पर दूसरे तरीके से मार डाली है। पिछले वित्तीय वर्ष की तिमाही (अप्रेल, मई व जून 2021) का फ्यूल सरचार्ज वसूला जाएगा और अगले माह से ही यह राशि उपभोक्ता के बिल में जुड़कर आएगी।
10 साल से जारी है वसूली राजस्थान में फ्यूल सरचार्ज की वसूली 10 साल से की जा रही है। जब भी जनरेशन कम्पनियां तय कीमतों से ज्यादा में कोयले की खरद करती है तो उस राशि का बोझ वितरण कम्पनियां उपभोक्ताओं पर डाल देती है। इस बार भी यही हो रहा है। कहा तो यह भी जा रहा है कि पिछले तीन माह के दौरान प्रदेश में कोयले का संकट चला और इस दौरान भी महंगा कोयला खरीदा गया, उसका भार भी उपभोक्ताओं पर डाला जाएगा। अब उपभोक्ता को इंतजार करना होगा कि नया भार कब तक उसके बिल में जोड़ा जाता है।