एकादशी व्रत सूर्योदय से लेकर द्वाद्वशी के दिन सूर्योदय तक चलता है। व्रत रखनेवालों को इस अवधि में अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए। एकादशी व्रत के लिए दशमी के दिन से ही प्याज, लहसुन, मसूर की दाल, चावल का सेवन बंद कर देना चाहिए। दशमी, एकादशी और इसके बाद द्वादशी के दिन भी में प्याज, लहसुन, मसूर-उड़द-चने की दाल, कोदो को सेवन न करें. इसके साथ ही शहद भी न खाए। व्रत के दिन कोल्ड ड्रिंक्स, तला भोजन, आइसक्रीम, डिब्बाबंद खाना, पैक फलों के रस आदि बाजारू खाद्य पेय का सेवन न करें।
संभव हो तो निराहार व्रत करें. सामर्थ्य न हो तो एक बार भोजन करें। व्रतधारी फल, घर में निकाला हुआ फल का रस या अथवा दूध या जल का सेवन कर सकते है। फलों में केला, आम, अंगूर आदि के साथ सूखे मेवे जैसे बादाम, पिस्ता आदि का सेवन करना चाहिए। एकादशी व्रत में सभी प्रकार के फल, चीनी, कुट्टू, आलू, साबूदाना, शकरकंद, जैतून, नारियल, दूध, बादाम, अदरक, काली मिर्च, सेंधा नमक आदि खाने योग्य पदार्थ में शामिल हैं।
सभी अनाज ;जैसे चावल, बाजरा, जौ और मैदा व उनसे बनी अन्य वस्तुएं, उडद, मसूर दाल और इनसे बनी वस्तु, मटर, छोला, सेम, शलजम, गोभी, गाजर, पालक, एकादशी व्रत में वर्जित खाद्य पदार्थ हैं। इसके अलावा मेथी, हींग, सरसों, सौंफ़, इलायची, इमली लौंग और जायफल आदि मसालें भी वर्जित हैं। बेकिंग पावडर, नमक, बेकिंग सोडा, कस्टर्ड जैसे बाजारू खाद्य-पेय और मिठाइयाें का सेवन नहीं करना चाहिये। भूलवश ऐसा होने पर तत्क्षण सूर्य देव के दर्शन कर विष्णुजी से क्षमा याचना करनी चाहिए।