मामले की शुरुआत हुई बुधवार को नीमकाथाना से जहां राजकीय उच्च प्राथमिक संस्कृत विद्यालय के लोकार्पण के लिए शिक्षा मंत्री पहुंचे थे। यहां दिए संबोधन में उन्होंने कहा कि कुछ बहनों यानी शिक्षिकाएं को देखता हूं कि वे अच्छे कपड़े नहीं पहनती हैं, पूरा शरीर दिखाकर स्कूल में जाती हैं। इसका हमारे बच्चों पर अच्छा प्रभाव नहीं पड़ता है। शिक्षक-शिक्षिकाओं को सोचना चाहिए कि हमें कैसा पहनावा पहनना चाहिए। जो इस तरह के कुसंस्कार दिखाते हैं, वे शिक्षक नहीं बच्चों के दुश्मन हैं।
उनके इस बयान के बाद से राज्य के शिक्षक संघ उनके विरोध में आ गए हैं। इस पर भी वे एक दिन अपने बयान से पीछे हटे तो दूसरे दिन फिर वही दोहराने लगे हैं। आज बारां में उन्होंने कहा कि हमारे परिवेश के अनुरूप कपड़े पहन कर नहीं आने से बच्चों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। जो इसको गलत मानते हैं, उनसे बड़ा मूर्ख कोई नहीं है।
उनके इस बयान के बाद से राज्य के शिक्षक संघ उनके विरोध में आ गए हैं। इस पर भी वे एक दिन अपने बयान से पीछे हटे तो दूसरे दिन फिर वही दोहराने लगे हैं। आज बारां में उन्होंने कहा कि हमारे परिवेश के अनुरूप कपड़े पहन कर नहीं आने से बच्चों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। जो इसको गलत मानते हैं, उनसे बड़ा मूर्ख कोई नहीं है।