मंडल के पर्यावरणविद विजय सिंघल ने बताया कि आम तौर पर घर-प्रतिष्ठनों एवं कारखानों से निकलने वाले अनुपयोगी व खराब इलेक्ट्रोनिक एवं इलेक्ट्रीकल उपकरणों को कबाड़ी खरीदते हैं। इसके बाद इस वेस्ट को सामान्यतः गैर वैज्ञानिक तरीके से निकाला जाता है। इससे हानिकारक हैवी मेटल्स, प्रदूषक तत्व एवं अन्य रसायन मिट्टी, जल एवं वायु को प्रदूषित करते हैं। जो शारीरिक दृष्टि से काफी हानिकारक हैं। इसके तहत अप्रचलित कम्प्यूटर पेरीफेरल्स, पर्सनल इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, सेल फोन्स, ऑडियो विजुअल इक्विपमेंट, चिकित्सा उपकरण तथा घरेलू उपकरण की अच्छी रकम ले सकेंगे। दो चरणों में आमजन को रकम भी उपलब्ध करवाई गई। आगामी दिनों में जागरूकता अभियान भी चलाना प्रक्रियाधीन हैं।
मंडल की ओर से इस बाबत प्रचार प्रसार किया जाएगा। वहीं नए साल में वेबसाइट के जरिए कई नए नवाचार भी ईवेस्ट संग्रहण के तहत किए जाएगे। वेबसाइट के जरिए आमजन अपने जिले के अधिकृत रिसाईक्लर, डिस्मेंटलर एवं कलेक्शन सेंटर की जानकारी के लिए राज्य मण्डल की वेबसाईट www.environment.rajasthan.gov.in/rpcb पर लाग इन कर रहे हैं। इसके साथ इसमें कम सामान भी देने की सुविधा शुरू की जाएगी। वर्तमान समय में एक निश्चित सामानों की संख्या को लिया जा रहा है। आमजन टोल फ्री नम्बर 18002121434 या 18001031460 पर सोमवार से शुक्रवार के बीच सुबह 10 से शाम 6 बजे तक अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते है। ई-वेस्ट के लिए क्लीन टू ग्रीन वेबसाइट कम्पनी से भी संपर्क किया जा सकता है। हालांकि इसका राजस्थान में पूरी तरह से कामकाज वर्ष 2022 में शुरू होगा।
जयपुर समेत भीलवाडा, जोधपुर, अलवर और भिवाड़ी में औद्योगिक इकाईयों, वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों, बिजनेस मॉल, शॉपिंग मार्केट, कालोनियों आदि से ई-वेस्ट एकत्र किया जा चुका है। कुल 66.2 मैट्रिक टन ई-वेस्ट एकत्र हुआ। उपभोक्ताओं को ई-वेस्ट के बदले 20 लाख रूपये से अधिक की राशि भी दी। वहीं पहले चरण में 11 मैट्रिक टन ईवेस्ट एकत्र हुआ। तीसरा टन भी खत्म होने की कगार पर हैं।