वहीं कुछ दूरी पर कैलाश गुजराती ने बताया कि पिछले साल कोरोना के चलते नहीं आए थे। उससे पहले हमने वर्ष 2019 में रावण के पुतले 1000 रुपए फीट के हिसाब से बेचे थे। अब कच्चा माल महंगा हो गया लेकिन लगता है कि दो साल पुराना भाव भी नहीं मिल पाएगा। अगर पुतलों में पटाखे नहीं लगेंगे तो बच्चे रावण जलाने में रुचि नहीं दिखाएंगे।
हर वर्ष की भांति इस बार रावण कम ही नजर आ रहे हैं। इसके बारे शास्त्री नगर में नगर निगम आफिस के सामने रावण बना रही रोशनी ने बताया कि हम बिहार से आए हैं। रिश्तेदार और भी आने वाले थे। यहां जैसे ही पटाखों पर प्रतिबंध लगा हमने उन्हें मना कर दिया। वे अब दूसरे राज्यों में गए हैं।
विजयदशमी नजदीक आते मंडी व बाजारों में एक से 15 फीट के रावण पुतले बन रहे हैं। किसान धर्म कांटा, गुर्जर की थड़ी, एसएफस, बीटू बायपास, सोढाला, बाईस गोदाम आदि स्थनों पर रावण के पुतले नजर आ रहे हैं। कारीगर आशीष ने बताया कि अगर पटाखों पर प्रतिबंध हटे तो बाजार में कुछ आर्डर आ सकते हैं।