यह सर्वे प्रदेश के सभी 33 जिलों में किया गया है। जिसमें सभी वर्ग, आयु, महिला और पुरुष शामिल किए गए हैं। 63 फीसदी नहीं जानते मुआवजे के बारे में ड्रग ट्रायल के दौरान मरीज की मौत पर मुआवजे का प्रावधान है। अब तक प्रदेश के 4 मरीजों को यह मुआवजा मिला है, जबकि 95 की मौत हो चुकी है। यह बात कुछ वर्ष पहले राज्य सरकार स्वयं स्वीकार कर चुकी है। लेकिन सर्वे के मुताबिक 63 फीसदी लोग आज तक भी ट्रायल में मौत पर मुआवजे के प्रावधानों से अनजान हैं।
रिसर्च सेंटर तक नहीं लिख रहे पत्रिका ने पड़ताल की तो कई निजी सेंटर ऐसे मिले हैं, जहां ट्रायल की जाती है। लेकिन अस्पताल के बाहर लगे बोर्ड पर रिसर्च सेंटर भी नहीं लिखा जा रहा। जिसके कारण मरीज को यह पता भी नहीं चलता कि यहां उनके उपर दवा का ट्रायल भी हो सकता है।
सवाल : ड्रग ट्रायल क्या होता है ? ए : दवा का प्रयोगशाला में परीक्षण 19.8
बी : बाजार से सैंपल उठाकर दवा की जांच करवाना 5.5
सी : दवा को बाजार में आने से पहले उसका असर जांचने के लिए मरीजों पर उसका प्रयोग करना 57.2
डी : पता नहीं 17.5
सवाल : क्या कभी सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में आपको ट्रायल की जानकारी दी गई ?
ए : हां 7.5
बी : नहीं 92.5 सवाल : अस्पताल के बाहर रिसर्च सेंटर लिखा होने का मतलब जानते हैं ?
ए : हां 60.6
बी : नहीं 39.4
सवाल : क्या आपको पता है कि ड्रग ट्रायल में मौत होने पर मुआवजा मिलता है ?
ए : हां 36.9
बी : नहीं 63.1 सवाल : क्या आपने सुना है कि ड्रग ट्रायल में मौत होने पर मुआवजा या दुष्प्रभाव पर मुआवजा मिला है ?
ए : हां 26.9
बी : नहीं 73.1