sambhar lake : आसमान नापकर आए पक्षियों का दो गज उडऩा भी हुआ मुश्किल
जयपुर सांभर झील में पक्षियों ड्रोन कैमरे से तलाश शुरू हो गई हैं। झील के आसपास के इलाके में ड्रोन उड़ाकर मृत व घायल पक्षियों की तलाश की जा रही हैं। एक स्वयंसेवी संस्थान की टीम और वॉलिटियर्स की टीम सुबह सात बजे ही सांभर झील पर पहुंची। जहां पर रेस्क्यू आपरेशन शुरू किया। इस दौरान असमान में ड्रोन उड़ाकर पक्षियों की तलाश शुरू की गई। जिसके बाद जहां कहीं भी मृत पक्षी के अवशेष या फिर घायल पक्षी होने का संदेह हुआ वहां पर वॉलिटियर्स की टीम को भेजकर पक्षी को रेस्क्यू और बचाव कार्य करने को कहा गया। वहीं सांभर झील में हुई पक्षियों की मौत के मामले में बरेली से जांच रिपोर्ट आ गई हैं। हालांकि इस रिपोर्ट में वन विभाग और पशुपालन विभाग की लापरवाही सामने आई हैं। जिन्हें पता ही नहीं लगा कि पक्षियों की मौत का सिलसिला दीपावली के आसपास से ही शुरू हो गया था। लेकिन विभाग के अधिकारी जब जागे तब तक हजारों पक्षियों की मौत होने के बाद उनमें कीड़े मैगट्स पड़ चुके थे। मृत पक्षियों में पड़े इन मैगट्स ने अन्य पक्षियों को भी मौत के घाट उतार दिया। जो भी पक्षी सांभर झील पहुंचे वह इन् मैगटस को खाने लगे जिसके कारण उनमें बोटुलिज्म रोग फैल गया। जिस कारण से पक्षियों की मौत का आंकड़ा बढ़ता चला गया। हालांकि जानकारों का यह भी मानना है कि अगर वन विभाग और पशुपालन विभाग के अधिकारी जिम्मेदारी एक दूसरे पर नहीं टाल कर समय पर ही बचाव कार्य में लग जाते तो पक्षियों की इतनी अधिक संख्या में मौत नहीं होती। समय रहते शुरू होता बचाव कार्य जिस तरह आज सुबह से ड्रोन उड़ाकर बचाव कार्य किया जा रहा अगर यह कुछ पहले शुरू होता तो शायद कुछ पक्षियों की जान बच सकती थी। हालांकि अब यह ड्रोन सर्वे जब किया जा रहा है जब झील में पक्षियों की संख्या काफी कम बची हैं। पहले दिन जब मामले का खुलासा हुआ उसी दिन से इस तरह से प्रशासन,सरकार और विभाग के अधिकारी हरकत में आ जाते तो आज इतनी संख्या में पक्षियों के मरने की नौबत नहीं आती। 22 जनवरी से पहले मांगी रिपोर्ट सांभर झील में प्रवासी पक्षियों की मौत पर एनजीटी ने स्वत: संज्ञान लिया है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) ने मीडिया खबरों को देखने के बाद रिपोर्ट मांगी है। एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने प्रशासन से तथ्यों और अब तक की कार्रवाई पर रिपोर्ट मांंगी है। एनजीटी ने नेशनल वेटलैंड अथॉरिटी, स्टेट वेटलैंड अथॅारिटी, राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और जयपुर जिला मजिस्ट्रेट से अगले साल 22 जनवरी से पहले यह रिपोर्ट मांगी है। एनजीटी ने माना है कि इतने बड़े पैमाने पर परिंदों की मौत से आशंका है कि दलदली भूमि की पारिस्थितिकी को बनाए रखने में पर्यावरण मानकों का उल्लंघन हुआ है। अब तक नहीं मरे इतने पक्षी वाइल्डलाइफ विशेषज्ञों का दावा है कि अब तक देश में इस तरह से कही भी इतनी अधिक संख्या में पक्षी इस तरह नहीं मरे हैं। राजस्थान के पूर्व चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन आरएन मेहरोत्रा के अनुसार देश में अभी तक कहीं भी इतनी बड़ी तादाद में विदेशी पक्षियों की मौत नहीं हुई है। हालांकि जयपुर के पास 90 वर्ग किमी में फैली इस सांभर झील में हुई जितनी मौत देश में अभी तक कहीं भी नहीं हुई हैं। अगर विभाग के अधिकारी झील के क्षेत्रफल के अनुसार ही बचाव कार्य के लिए संसाधन जुटाते तो ऐसा नहीं होता। बचाव कार्य शुरू होने के बाद भी संसाधनों का अभाव रहा।