बांध से छठी मर्तबा पानी छोड़े जाने के साथ ही सिंचाई के लिए पानी मिलने की संभावना को लेकर क्षेत्र में खुशी की लहर दौड़ पड़ी है। जिला कलक्टर टोंक चिन्मयी गोपाल ने जल संसाधन अभियंताओं की मौजूदगी में शुक्रवार सुबह 8 बजे बांध के कन्ट्रोल रूम पर पंडित मनोज श्रोती की ओर से पूजा अर्चना के बाद स्काडा सिस्टम के तहत कम्प्यूटर के बटन दबाकर गेट संख्या 9 व 10 को आधा-आधा मीटर यानी (50-50) सेमी तक खोलकर बांध से कुल छह हजार दस क्यूसेक पानी की निकासी बनास नदी में शुरू कर की गई है।
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बांध से बनास नदी में की गई पानी की निकासी के दौरान बांध का गेज पूर्ण जलभराव 315.50 आरएल मीटर दर्ज किया गया है, जिसमें 38.70 टीएमसी का जलभराव है। बांध के पूर्ण जलभराव होने के साथ ही डूब क्षेत्र की कुल 21 हजार 300 हेक्टेयर भूमि जलमग्न हो चुकी है। बांध परियोजना की ओर से डाऊन स्ट्रीम में बनास किनारे बसे लोगों को पानी से दूर रहने की चेतावनी को लेकर गेट खोलने से दो घंटे पूर्व से ही चेतावनी सायरन से अलर्ट किया गया, जो गेट खुलने के बाद तक लगातार चालु रहा। वहीं प्रशासन की ओर से बांध के डाऊन स्ट्रीम के बनास किनारे बसे गांव व कस्बों के लोगों को मुनादी करवाकर बनास किनारे से दूर रहने की हिदायत दी गई है। बीसलपुर बांध के पूर्ण जलभराव होने से जल संसाधन विभाग व बांध परियोजना ने जयपुर ,अजमेर सहित टोंक जिले के लिए अगले डेढ़ से दो वर्ष तक पेयजल का पर्याप्त पानी भरने से राहत की सांस ली है।
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कब-कब छलका बांधबीसलपुर बांध के पूर्ण जलभराव पर 21 हजार 300 हैक्टेयर भूमि जलमग्न होती है, जिसमें 212.30 वर्ग किलो मीटर क्षेत्र में पानी भर जाता है। बीसलपुर बांध बनने के बाद पहली बार 2004 में पूर्ण जलभराव होकर छलका था, उसके बाद 2006 में फिर 2014, 2016 व 2019 में पानी की निकासी की जा चुकी है। इसी प्रकार बांध की दायीं व बायीं मुख्य शहरों से पहली बार सिंचाई के 2004 में पानी छोड़ा गया था। वहीं 2005, 2006, 2007 तक लगातार फिर 2011 से 2017 तक लगातार, 2019 व 2020 में सिंचाई के लिए पानी छोड़ा जा चुका है। वहीं इस बार फिर से किसानों को सिंचाई के लिए पानी छोड़ने की उम्मीद बनी है।