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कई हिस्से में तो सड़क ही गायब हो गई और धूल के गुबार ने स्थानीय लोगों का रहना दूभर कर दिया। हालात इतने बदतर हैं कि एंबुलेंस और फायर ब्रिगेड को अलग से निकालने की अलग से कोई व्यवस्था ही नहीं है। पिछले दिनों ऐसे ही हालात बनें, जिससे मरीज और उनके परिजनों की श्वांस फूल गई। इसके बावजूद भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण और अनुबंधित कंपनी पर कोई असर नहीं हुआ। इस इलाके से ढाई माह में 16 से ज्यादा शिकायतें एनएचएआई के पासपहुंची है।
ट्रेफिक पुलिसकर्मी आराम फरमाते रहे और होमगार्ड नींद
-ट्रेफिक पुलिसकर्मी महलां तिराहे पर पेड़ की छांव में आराम फरमाते हुए दिखाई दिए। जबकि, मौके जाम में एंबुलेंस एवं रोडवेज फंसी रही।
-वहीं, राजमार्ग पर ट्रेफिक संचालन मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी होमगार्ड की जगह स्थानीय सिक्योरिटी गार्ड को दे दी गई। ये भी पुलिसकर्मियों के पास बैठकर नींद निकालते नजर आए।
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नम्बर भी गायब, ताकि कोई पहुंचे ही नहीं
जाम और आपातकालीन स्थिति में फंसने पर निर्माणकर्ता कंपनी को प्रोजेक्ट हिस्से के रूट पर मोबाइल नम्बर लिखने जरूरी हैं, लेकिन कंपनी ने अलग से कोई नम्बर जारी नहीं किए हैं।