राजस्थान में पार्टी ने मिशन 2023 के लिए मुर्मू के नाम के सहारे रणनीति बना ली है। देश में क्षेत्रफल के लिहाज से सबसे बड़े राज्य में सत्ता में वापसी के लिए भाजपा पुरजोर प्रयास कर रही है। प्रदेश में करीब 70 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहां अनुसूचित जनजाति के वोटर प्रभावशाली हैं। 25 विधानसभा सीटें एसटी के लिए आरक्षित हैं, जबकि करीब 35 से अधिक सीटों पर एसटी के प्रत्याशी जीतते रहे हैं।
अब इसी सप्ताह से राज्य की सभी विधानसभा सीटों विशेष रूप से आदिवासी बाहुल्य सीटों पर भाजपा कार्यक्रम शुरू कर रही है। इसके तहत 21 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव का परिणाम आते ही जिलों में धन्यवाद कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। खास बात यह है कि कार्यक्रम में आयोजक भाजपा होगी। जबकि हर जगह आदिवासी समाज के स्थानीय संगठन और प्रमुख लोग यह आयोजन करेंगे। द्रौपदी मुर्मू के जयपुर दौरे के दौरान भी प्रदेशभर से अनुसूचित जनजाति से जुड़े संगठन व पदाधिकारियों को बुलाया गया था। मुर्मू के स्वागत कार्यक्रम में भी आदिवासी भील व मीणा संस्कृति की झलक देखी गई थी।
उच्च स्तर से आए निर्देश के तहत कमेटी गठित उच्च स्तर से मिले निर्देशों के तहत पार्टी ने पांच सदस्य कमेटी बना दी है, वहीं इस अभियान के तहत भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा को जिम्मेदारी दी गई है। पंचायत स्तर तक आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रमों के लिए राष्ट्रपति का फोटो हर जगह भेजा जाएगा। पार्टी के एसटी समाज को आगे लाने वाले निर्णय के रूप में इसे प्रचारित किया जाएगा।
एसटी सीटों पर 2018 में भाजपा रही कमजोर राजस्थान विधानसभा चुनाव 2018 में भाजपा प्रदेश की एसटी आरक्षित सीटों पर कमजोर रही थी। राजस्थान में एसटी के लिए आरक्षित 25 सीटों में से भाजपा मात्र 8 सीटें ही जीत पाई थी, जिसमें अकेले उदयपुर जिले की 4 विधानसभा सीटें है। पूर्वी राजस्थान के अलवर, दौसा, बारां, करौली, जयपुर, सवाई माधोपुर जिलों में एसटी के लिए आरक्षित सीटों में से भाजपा एक भी सीट नहीं जीत पाई थी। अब 2023 विधानसभा चुनाव में भाजपा मुर्मू के सहारे इन सीटों पर जीतने की रणनीति बना रही है।