जयपुर

मत बांटो Jaipur City को दो भागों में…

न मांग और न ही जरूरत, मत बांटो हमारी विरासत…

जयपुरApr 20, 2023 / 12:57 am

Divyansh Sharma

सरकार ने घोषणा तो की पर अब तक दो जिलों में बांटने की जरूरत नहीं बताई
लोगों ने सांस्कृतिक व हैरिटेज वैभव का बंटवारा होने की जताई आशंका
ब्यूरोक्रेट्स भी दबी जुबान में कह रहे- शहर को दो जिलों में बांटने की जरूरत नहीं
वजह पता लगे तो शहरवासियों को मिले उनके सवालों के जवाब
लोगों ने सांस्कृतिक व हैरिटेज वैभव का बंटवारा होने की जताई आशंका
ब्यूरोक्रेट्स भी दबी जुबान में कह रहे- शहर को दो जिलों में बांटने की जरूरत नहीं
Jaipur City को दो जिलों में बांटने के विरोध में लगातार संगठन, व्यापारी, आमजन, राजनीतिक दलों के नेता एकजुट होते जा रहे हैं। सभी चाह रहे हैं कि जयपुर नगर निगम हैरिटेज और ग्रेटर के 250 वार्डों की सीमा में एक ही जिला हो, जिससे जयपुर शहर का सांस्कृतिक व हैरिटेज वैभव का बंटवारा रोका जा सके। सरकार ने भले ही शहर को दो जिलों में बांटने की घोषणा कर दी हो, लेकिन शहर के ज्यादातर सांसद, विधायक भी इसे बांटने की पक्ष में नहीं है। खास यह है कि ब्यूरोक्रेट्स भी दबी जुबान में कह रहे हैं कि दो जिलों में बांटने की बजाय नगर निगम सीमा में एक जिला बनाने से काम आसान होगा।
बड़े सवाल-

शहर को दो जिलों में बांटने का प्रशासनिक तरीके से मजबूत करना है या कोई और वजह?
क्या इसके पीछे सरकार की मंशा किसी तरह की सोशल इंजीनियरिंग से जुड़ी है?
क्या यह आगामी विधानसभा चुनाव में रणनीति का हिस्सा है?
क्या किसी ने दो जिले बनाने की मांग की थी। इसमें राजनीतिक दल थे या फिर कोई प्रशासनिक अफसर?
फायदे-

छोटा इलाका होने से उस क्षेत्र में विकास की संभावना बढ़ जाती है
जिला बनने से उस क्षेत्र में सुविधाएं बढ़ेगी, दूरियां कम होगी
सरकारी कार्यालय व अन्य सुविधाओं तक पहुंचने के लिए दूरी कम होगी
नुकसान-

जयपुर शहर के सुनियोजित विकास के लिए जयपुर नगर-निगम को दो हिस्सों में बांटा गया। लेकिन राजनीतिक और प्रशासनिक लापरवाही के चलते यह स्थिति जनता के लिए परेशानी का सबब बन गई। राजनेताओं की वर्चस्व की लड़ाई में लोगों के काम अटक रहे हैं।
प्रशासनिक कार्यालय दो जगह बंटने से आर्थिक बोझ भी बढ़ेगा।
लोगों की बात-

1. शहर की सांस्कृतिक, हैरिटेज सहित अन्य पहचान बंट जाएगी
2. भावी पीढ़ी इतिहास, विरासत और संस्कृति से कट जाएंगे
3. पूर्व महाराजा जयसिंह ने जयपुर की स्थापना वास्तु के आधार पर की थी, इससे यहां का वास्तु खंडित होने की आशंका
4. एक हिस्से का विकास ज्यादा होगा तो दूसरे हिस्से में कम। असमानता बढ़ेगी व एक होने की जगह अलग होने का भाव आएगा।
5. हमें आधार कार्ड, पासपोर्ट, परिचय पत्र, राशन कार्ड और पैन कार्ड सहित अन्य सभी दस्तावेज पर पहचान बदलनी पड़ेगी। पिन कोड बदल जाएगा
6. समाज, संस्थाएं और दल विभाजित होंगे। सबको अपनी अलग-अलग इकाई बनानी पड़ेगी, अलग से नया संगठन बनाना पड़ेगा। उनकी प्रशासनिक इकाइयां बनानी होगी। शहर और संस्थाओं पर वित्तीय भार बढ़ेगा
7. विभाजन का आधार बेहतर व त्वरित विकास का दावा, पर जयपुर हेरिटेज और ग्रेटर के बंटवारे को देखकर परेशान करने वाले हालात सामने हैं
8. वर्ष 2027 में कौन से जयपुर की स्थापना के तीन सौ साल पूरे होंगे? किस जयपुर का स्थापना दिवस मनाया जाएगा?
लोगों की मंशा को समझे सरकार-


सेव जयपुर-वन जयपुर की मुहिम चलाने वाले सुनील कोठारी ने बताया कि हर नागरिक यह चाहता है कि जयपुर शहर का विभाजन नहीं हो। कैंडल मार्च में जिस तरह लोग स्वत: एकजुट हुए, उससे सरकार को समझना चाहिए कि लोग क्या चाह रहे हैं। वहीं, सुरेश मिश्रा का कहना है कि जयपुर केवल भूमि का टुकड़ा नहीं, इससे हमारा मानसिक और भावनात्मक लगाव है। जिस तरह परिवार टूटने का दर्द होता है, निश्चित तौर पर उसी तरह का दर्द यह विभाजन कराएगा। शहरवासियों के साथ मैं भी इस मुहिम के साथ हूं कि जयपुर शहर दो जिलों में नहीं बांटना चाहिए।
जगरूप सिंह यादव, रिटायर आईएएस और पूर्व कलक्टर जयपुर

क्या कहते हैं एक्सपर्ट-

जयपुर शहर और इसकी आठ विधानसभा क्षेत्र को एक ही जिले के रूप में रखा जाना चाहिए। प्रशासनिक दृष्टि से अधिक सुविधा होगी। कारण है कि शहरी क्षेत्र की विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान होती है। इसकी समस्याएं और समाधान प्रशासनिक दक्षता के अनुसार समान होते हैं। शहरी क्षेत्र में सीवरेज, जनसंख्या, सार्वजनिक परिवहन, सफाई आदि समस्याएं एक जैसी होती हैं। ऐसे में इनके एक समान होने से पूरे शहर का समाधान एक समान होगा।
सांस्कृतिक, राजनीतिक, प्रशासनिक और प्रशासनिक कुशलता को देखते हुए जयपुर शहर का नोटिफाइड एरिया एक रखा जाना चाहिए। अगर समस्या है तो आठ विधानसभा क्षेत्रों का कुछ क्षेत्र अलग कर ग्रामीण अंचल को अलग जिलों में किया जा सकता है। जैसे आमेर और झोटवाड़ा। राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम की धारा 14 और 15 के तहत जिसके तहत सरकार नोटिफिकेशन करेगी, उसमें प्रावधान है कि तहसील काे एक जिले में शामिल किया जाता है। तहसील से कम क्षेत्र नहीं आ सकता। जयपुर जिले के शहरी क्षेत्र की आठ विधानसभा क्षेत्र को एक जिले में रखने के बाद भी जयपुर जिले का बड़ा भूभाग जयपुर उत्तर और जयपुर दक्षिण के रूप में जिले के रूप में संगठित होने के लिए पर्याप्त क्षेत्र बचेगा।
जगरूप सिंह यादव, रिटायर आईएएस और पूर्व कलक्टर जयपुर

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