कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी युक्त अमावस्या रविवार को धन की देवी मां लक्ष्मी की आराधना का पर्व दिवाली विभिन्न योग—संयोगों में मनाया जाएगा। अमावस्या की शुरुआत रविवार दोपहर 2.45 बजे से शुरू होकर पूरी रात अमावस्या रहेगी।
ज्योतिषाचार्य पं.दामोदर प्रसाद शर्मा के मुताबिक शास्त्रानुसार कार्तिक अमावस्या को प्रदोष काल युक्त अमावस्या में लक्ष्मी पूजन किया जाता है। लक्ष्मी पूजन प्रदोष युक्त अमावस्या को स्थिर लग्न में करना बेहतर माना गया है। इसका समय शाम 6.02 से 6.15 बजे तक रहेगा। इस समय में प्रदोष काल, वृषभ लग्न, कुंभ का नवांश काल युक्त समय रहेगा। यही सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त है।
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ज्योर्तिविद पं घनश्याम लाल स्वर्णकार के मुताबिक गृहस्थों को शाम को प्रदोषकाल युक्त वृषभ लग्न में महालक्ष्मी पूजन करना चाहिए, जो इस बार सायं 5.34 से 8.13 बजे तक रहेगा। यानि 2 घंटे 39 मिनट का समय लक्ष्मी पूजन के लिए मिलेगा। इसमें प्रदोष काल, कुंभ का स्थिर नवांश भी रहेगा।
पूजन के मुहूर्त: प्रदोष काल में शाम 5.34 से रात 8.13 बजे तक, वृष लग्न- शाम 5.50 से रात 7.47 बजे तक, सिंह लग्न -मध्य रात्रि 12.20 से 2.36 बजे तक मुहूर्त रहेगा।
चौघड़िए मुहूर्त
शुभ -शाम 5.34 से शाम 7.13 तक
अमृत— शाम 7.13 से 8.52 बजे तक
चर का -रात 8.52 से रात 10.32 बजे तक
लाभ का— रात 1.50 से रात 3.30 बजे तक
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दिन के मुहूर्त (व्यापारिक और औद्योगिक प्रतिष्ठान)
चौघडिया – समय
चर का — सुबह 8.09 से सुबह 9.29 बजे तक
लाभ का— सुबह 9.29 से सुबह 10.50 बजे तक
अमृत का— सुबह 10.50 से दोपहर 12.11 बजे तक
शुभ का— दोपहर 1.32 से दोपहर 2.52 बजे तक
(ज्योतिषाचार्य पं.दामोदर प्रसाद शर्मा के मुताबिक जिस दिन प्रदोष काल में अमावस्या रहती है उस दिन दिनभर और पूरी रात लक्ष्मी पूजा करने का विधान है। )