जयपुर

ऐतिहासिक स्थलों और मंदिरों के संरक्षण की दिगराज सिंह शाहपुरा ने की पहल

झीलों की नगरी में पांच सौ वर्षों से भी ज़्यादा पुराना हनुमान मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया गया। जीर्णोद्धार के साथ मंदिर का इंटीरियर केसरिया और सफ़ेद रंग में किया गया और मूर्ति के पास चारों तरफ़ की दीवारें स्वर्ण से सुसज्जित की गई, जो देखने में बिल्कुल अयोध्या स्थित हनुमान गढ़ी जैसा दिखता है।

जयपुरDec 23, 2022 / 09:38 pm

Gaurav Mayank

ऐतिहासिक स्थलों और मंदिरों के संरक्षण की दिगराज सिंह शाहपुरा ने की पहल

जयपुर। मनमोहक नज़ारों को देखने लाखों पर्यटक हर साल झीलों की नगरी उदयपुर आते हैं। वहीं झीलों की नगरी अपने सुंदर नज़ारों के बीच कई ऐतिहासिक मंदिरों और स्थलों को अपने आग़ोश में समेटे हुए है। हाल ही बिल्कुल जर्जर अवस्था में पहुंच चुका यहां का एक हनुमान मंदिर जो कि बताया जाता है कि पांच सौ वर्षों से भी ज़्यादा पुराना है, का जीर्णोद्धार समाजसेवी दिगराज सिंह शाहपुरा द्वारा करवाया गया। जानकारी के मुताबिक़ होटल चैन शाहपुरा होटल्स एंड रिसॉर्ट्स के निदेशक दिगराज सिंह शाहपुरा द्वारा इस प्राचीन मंदिर के रखरखाव और जीर्णोद्धार की देखरेख के लिए पहल की गई।
उनकी शुरू से ही प्राचीन मंदिरों एवं ऐतिहासिक स्थलों के जीर्णोद्धार और रखरखाव की गहरी इच्छा थी। जीर्णोद्धार के साथ मंदिर का इंटीरियर केसरिया और सफ़ेद रंग में किया गया और मूर्ति के पास चारों तरफ़ की दीवारें स्वर्ण से सुसज्जित की गई, जो देखने में बिल्कुल अयोध्या स्थित हनुमान गढ़ी जैसा दिखता है।
हनुमानजी की है चतुर्भुज मूर्ति
ग़ौरतलब है कि इस मंदिर में हनुमान मूर्ति भी अपने आप में अनूठी है, क्योंकि यह एक चतुर्भुज मूर्ति है। मूर्ति की 4 भुजाएं हैं। यह मूर्ति किसी के द्वारा स्थापित नहीं है। कहा जाता है कि यह अपने आप ही प्रकट हुई है। इस मंदिर के प्रधान सेवक महाराज हरिदास थे, जिन्होंने जीवन मंदिर की सेवा में लगा दिया। उनके निधन के बाद से ये परिक्षेत्र हरिदास जी की मगरी के नाम से जाना जाता है।

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