उनकी शुरू से ही प्राचीन मंदिरों एवं ऐतिहासिक स्थलों के जीर्णोद्धार और रखरखाव की गहरी इच्छा थी। जीर्णोद्धार के साथ मंदिर का इंटीरियर केसरिया और सफ़ेद रंग में किया गया और मूर्ति के पास चारों तरफ़ की दीवारें स्वर्ण से सुसज्जित की गई, जो देखने में बिल्कुल अयोध्या स्थित हनुमान गढ़ी जैसा दिखता है।
हनुमानजी की है चतुर्भुज मूर्ति
ग़ौरतलब है कि इस मंदिर में हनुमान मूर्ति भी अपने आप में अनूठी है, क्योंकि यह एक चतुर्भुज मूर्ति है। मूर्ति की 4 भुजाएं हैं। यह मूर्ति किसी के द्वारा स्थापित नहीं है। कहा जाता है कि यह अपने आप ही प्रकट हुई है। इस मंदिर के प्रधान सेवक महाराज हरिदास थे, जिन्होंने जीवन मंदिर की सेवा में लगा दिया। उनके निधन के बाद से ये परिक्षेत्र हरिदास जी की मगरी के नाम से जाना जाता है।
ग़ौरतलब है कि इस मंदिर में हनुमान मूर्ति भी अपने आप में अनूठी है, क्योंकि यह एक चतुर्भुज मूर्ति है। मूर्ति की 4 भुजाएं हैं। यह मूर्ति किसी के द्वारा स्थापित नहीं है। कहा जाता है कि यह अपने आप ही प्रकट हुई है। इस मंदिर के प्रधान सेवक महाराज हरिदास थे, जिन्होंने जीवन मंदिर की सेवा में लगा दिया। उनके निधन के बाद से ये परिक्षेत्र हरिदास जी की मगरी के नाम से जाना जाता है।