नदी का अब तक का सर्वाधिक जलस्तर है। इससे पूर्व वर्ष 1996 में चंबल का जलस्तर 145.54 मीटर पर पहुंचा था। बुधवार सुबह जलस्तर 141 मीटर से ऊपर पहुंचते ही चंबल पर बना पुराना पुल डूब गया था। धौलपुर क्षेत्र में भमरौली, तिघरा और घुरैयाखेड़ा गांव टापू बन गए हैं। इन गांवों में निचले इलाकों में बसे लोगों ने घरों को छोड़ खेतों में बसेरा बना लिया है।
जिले के सरमथुरा, राजाखेड़ा और धौलपुर के करीब 80 गांवों में चंबल का पानी घुस गया है। सेना, पुलिस और एसडीआरएफ की टीम राहत एवं बचाव कार्य में जुटी हैं। अब तक करीब 6000 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। 83 गांव की विद्युत आपूर्ति बंद दी गई है। बाढ़ आपदा में फंसे लोगों को प्रशासन सुरक्षित तरीके से रेस्क्यू किया जा रहा है। सैकड़ों बीघा खरीफ की फसल भी पानी की चपेट में आकर बर्बाद हो चुकी है।
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धौलपुर जिला कलक्टर अनिल कुमार अग्रवाल ने बताया कि प्रशासन पूरी स्थिति पर नजर बनाए हुए है। ग्रामीण स्वयं भी सतर्क रहें, नदी के पास व जलभराव स्थानों पर न जाएं। अधिकारियों को बाढ प्रभावित ग्रामीणों के लिए भोजन व दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।
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26 साल का रिकॉर्ड टूटा
चंबल नदी में पानी की लगातार आवक के कारण 26 साल का पुराना रिकॉर्ड टुट गया है। चंबल का जलस्तर लगातार बढ़ने से लोगों को वर्ष 1996 में आई बाढ़ का मंजर याद आ गया। तब 23 अक्टूबर को चंबल का जलस्तर 145.54 मीटर तक पहुंच गया था। वहीं, वर्ष 2019 में यह 144.40 मीटर तक पहुंच गया था।