जयपुर

Lalita Panchmi 2020 आधा घंटा का सिद्ध स्तोत्र, मां की कृपा से खुद महसूस करेंगे इसके चमत्कारिक परिणाम

आश्विन मास के शुक्ल पक्ष के पांचवे नवरात्र के दिन शक्तिस्वरूपा देवी ललिता की पूजा की जाती है। इसे ललिता पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। दस महाविद्याओं में से एक मां ललिता का स्वरूप सौम्य है। इनकी आराधना बहुत फलदायक होती है।

जयपुरOct 21, 2020 / 09:10 am

deepak deewan

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जयपुर। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष के पांचवे नवरात्र के दिन शक्तिस्वरूपा देवी ललिता की पूजा की जाती है। इसे ललिता पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। दस महाविद्याओं में से एक मां ललिता का स्वरूप सौम्य है। इनकी आराधना बहुत फलदायक होती है।
ज्योतिषाचार्य पंडित नरेंद्र नागर के अनुसार मां ललिता देवी की भक्ति-भाव से पूजा करने पर उनकी कृपा अवश्य प्राप्त होती है। देवी ललितांबा भोग और मोक्ष दोनों प्रदान करती हैं। भौतिक सुखों के साथ ही आध्यात्मिक सुख भी जरूरी हैं। इनके लिए मां ललिता की कृपा आवश्यक है।ललिता देवी की पूजा से समृद्धि प्राप्त होती है।
कालिकापुराण के अनुसार ललिता देवी गौर वर्ण की हैं, उनकी दो भुजाएं हैं। वे कमल पर विराजित हैं। देवी पुराण में भी आदि शक्ति देवी ललिता का व्यापक वर्णन किया गया है. माता ललिता ने भांडा नामक राक्षस को मारने के लिए अवतार लिया था। ललिता पंचमी पर मां स्कंदमाता और शिवजी की भी पूजा की जाती है।
ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई बताते हैं कि इनकी प्रसन्नता के लिए ललितासहस्रनाम स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। करीब 30 मिनिट के ललितासहस्त्रनाम स्तोत्रपाठ का चमत्कारिक परिणाम मिलता है। 40 दिनों तक रोज विश्वासपूर्वक इस स्तोत्र का पाठ करें। पाठ पूर्ण होने के बाद इस का प्रभाव आप खुद महसूस करेंगे।

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