ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई बताते हैं कि मां जगद्धात्री तंत्र विद्या की देवी हैं। भविष्य पुराण, दुर्गाकल्प, उत्तर-कामाख्या-तंत्र, शास्त्र शक्ति-संगम-तंत्र आदि में देवी जगद्धात्री पूजा का उल्लेख है। सिंहवाहिनी चतुर्भुजा, त्रिनेत्रा व रक्तांबरा देवी जगद्धात्री राजस व तामस का प्रतीक मानी जाती हैं। जगद्धात्री पर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष की सप्तमी से दशमी तक मनाया जाता है।
शास्त्रानुसार महिषासुर का वध करने के बाद जब देवताओं को स्वर्ग मिल गया तो उनमें घमंड आ गया। देवी जगद्धात्री ने यक्ष के माध्यम से देवताओं के घमंड का नाश किया। देवी का दशोपचार पूजन करना चाहिए। देवी को घी में हल्दी मिलाकर दीपक लगाएं, धूप—कर्पूर जलाएं, पीले फूल—दूध—शहद चढ़ाएं, केले का भोग लगाएं तथा मंत्र ह्रीं दुं दुर्गाय नमः का जाप करें।
ज्योतिषाचार्य पंडित नरेंद्र नागर के अनुसार जगद्धात्री पूजन से शत्रु नतमस्तक हो जाते हैं तथा सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं। कष्टों से मुक्ति के लिए अपनी छाया दूध में देखकर देवी पर चढ़ाएं। विशेष मनोकामना पूर्ति के लिए देवी पर चढ़ा मेलफल पीले कपड़े में बांधकर पूजास्थल पर रख दें। परिवार के सुख के लिए देवी पर चढ़े पीले चावल पीपल के नीचे रखें।