जयपुर

राजस्थान के इस शहर में हैं खाना बनाने के सबसे बड़े बर्तन, एक बार में बनता है 6 हजार से ज्यादा लोगों का भोजन

इन देगों में श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूरी होने पर नियाज यानी प्रसाद पकवाते हैं…

जयपुरMar 28, 2018 / 02:29 pm

dinesh

जयपुर। Ajmer Sharif Dargah जिसके लिए कहा जाता है यहां आप जो भी मन्नत मागते हो वो पूरी हो जाती है। यह दरगाह Khwaja Moinuddin Chisti की दरगाह है। यह स्थान राजस्थान का बहुत ही पवित्र स्थल माना जाता है। यहां दरगाह शरीफ में दो बड़ी-बड़ी देग (भोजन बनाने के बर्तन) रखी हुई हैं। इन देगों में श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूरी होने पर नियाज यानी प्रसाद पकवाते हैं। उर्स के दौरान इन देगों में प्रसाद पकता है और वहां आने वाले श्रद्धालुओं को वितरित किया जाता है। ये काम दरगाह के खादिमों की संस्था अंजुमन की देखरेख में किया जाता है। इन देगों के लिए तीन-चार साल की एडवांस बुकिंग चलती है। इन देगों में पकने वाला प्रसाद खालिस शाकाहारी होता है। इसे बनाने में चावल और मैदे के अलावा जाफरान, घी, गुड़, शक्कर, सूखे मेवे और हल्दी आदि चीज़ें शामिल की जाती हैं। अंजुमन के अनुसार बड़ी देग में 4800 किलोग्राम और छोटी देग में 2240 किलोग्राम सामग्री पकाई जा सकती है। ये देग इतने बड़े हैं कि 6000 से ज्यादा लोग इसमें बना भोजन कर सकते हैं।
 

 

 

मुगल बादशाहों ने की थी भेंट
अजमेर दरगाह में दो देग हैं। दरगाह में रखी बड़ी देग मुगल बादशाह अकबर ने ख्वाजा की शान में भेंट की थी। वहीं छोटी देग बादशाह जहांगीर ने भेंट की। मुगल बादशाह अकबर ने अपनी मन्नत पूरी होने पर आगरा से अजमेर शरीफ तक पैदल आकर दरगाह पर मत्था टेका था। अकबर ने दरगाह में बुलंद दरवाजे के पास दक्षिण-पश्चिम में एक बड़ी देग बनवाई।
 

 

Ajmer Sharif Dargah
 

उर्स के समय होती है देगों की नीलामी, करोड़ों में लगती है बोली
देग में श्रद्घालुओं के लिए भोजन बनाया जाता है जिसके लिए अग्रिम बुकिंग चलती है। उर्स के समय देगों की नीलामी में करोड़ों की बोली लगती है। इन देगों की बोली में कई खादिम शरीक होते हैं। इस नीलामी से मिलने वाली राशि से अंजुमन द्वारा लंगर चलाया जाता है साथ ही बच्चों की तालीम और सामाजिक कार्यों में भी पैसा खर्च किया जाता है।
 

इन दोनों देग में सालभर पकवान पकाए जाते हैं। उर्स के अलावा अगर कोई श्रद्धालु इन देगों में प्रसाद पकवाना चाहे तो छोटी देग के लिए लगभग 60 से 75 हजार और बड़ी देग के लिए लगभग एक लाख 70 हजार रूपये जमा करवाने होते हैं।

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