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जयपुर आर्ट वीक का चौथा दिन; एक सैर, पारंपरिक आभूषणों की दुनिया की

जयपुर आर्ट वीक का चौथा दिन आर्ट लवर्स के लिए यादगार कार्यक्रमों के नाम रहा। वीक के तहत हुए क्यूरेटर्स टूर में शहरवासियों ने सोने और चांदी की ज्वैलरी के कलेक्शन को देखा और पारंपरिक ज्वैलरी डिजाइन देख अचंभित हुए।

जयपुरJan 30, 2025 / 10:09 pm

Kamlesh Sharma

jaipur art week
जयपुर आर्ट वीक का चौथा दिन आर्ट लवर्स के लिए यादगार कार्यक्रमों के नाम रहा। वीक के तहत हुए क्यूरेटर्स टूर में शहरवासियों ने सोने और चांदी की ज्वैलरी के कलेक्शन को देखा और पारंपरिक ज्वैलरी डिजाइन देख अचंभित हुए। सिर से पैर तक पहनी जाने वाली ज्वैलरी को कला प्रशंसकों ने खूब सराहा। पब्लिक आर्ट्स ट्रस्ट ऑफ इंडिया की ओर से जयपुर आर्ट वीक राजस्थान पत्रिका के सपोर्ट से आयोजित हो रहा है।
‘आवतो बायरो बाजे: द थंडर्स रोर ऑफ एन एंपेंडिंग स्टोर्म’ थीम पर हो रहे कार्यक्रम को कई अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं जैसे लिवरपूल बाइनियल, ब्रिटिश काउंसिल, एमबसेड द फ्रांस के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है। आठ दिवसीय जयपुर आर्ट वीक में दुनियाभर के 30 से ज्यादा कलाकार भाग ले रहे हैं। आर्ट वीक का समापन 3 फरवरी को होगा।

दुनिया का सबसे बड़ा ज्वैलरी कलेक्शन

आर्ट वीक के तहत आम्रपाली म्यूजियम में ऋषभ दत्ता का क्यूरेटर्स टूर आयोजित हुआ। यहां ट्रेडिशनल इंडियन आर्ट और सोने-चांदी की ज्वैलरी का कलेक्शन देखने शहरवासी पहुंचे। संग्रहालय में सिर से लेकर पैर तक पहनी जाने वाली ज्वैलरी का कलेक्शन मौजूद है| संग्रहालय में राजस्थान, असम, हिमाचल प्रदेश सहित कई राज्यों के पारंपरिक आभूषण प्रदर्शित किए गए। ऋषभ ने बताया कि दुनिया का सबसे बड़ा सोने-चांदी के आभूषणों का कलेक्शन इस म्यूजियम में है। संग्रहालय में सोने की मोजड़ियां, रानी हार, कमरबंद, बाजूबंद के अलावा हजारों की संख्या में कीमती आभूषण हैं| इस क्यूरेटर्स टूर का मुख्य उद्देश्य लोगों को परंपरा के प्रति जागरूक करना है।

ब्लूप्रिंट स्टोरीज़: आर्ट और नेचर का संगम ​

पूजा उधवानी की वर्कशॉप में बच्चों से लेकर बुजुर्ग लोगों में सीखने की ललक नजर आई। पूजा ने बताया कि साइनोटाइप एक तकनीक है, जिसमें प्रकाश-संवेदनशील रसायनों के साथ कागज को कोटिंग करके, वस्तुओं या नकारात्मक चीजों को सूरज की रोशनी में उजागर करके और पानी में प्रिंट विकसित करके फोटोग्राम और प्रिंट बनाए जाते हैं। इस फोटोग्राफिक प्रक्रिया के जरिए आर्टलवर्स ने पोस्टकार्ड और बुकमार्क जैसी कार्यात्मक कला को कैनवास पर उकेरा। वहीं गोलछा सिनेमा में विनायक मेहता की बाइस्कोप वर्कशॉप में लोगों ने अपने जीवन से जुड़े अनुभव बताए और विनायक मेहता ने इसे कहानी की स्क्रिप्ट में तब्दील करना सिखाया। उन्होंने कहानी लेखन के बेसिक और कहानी को मोड़ देने की बारीकियों के बारे में चर्चा की।

हर फिल्म में कला का नया दृष्टिकोण

जेकेके की अलंकार गैलरी में ब्रिटिश काउंसिल मूविंग इमेज कलेक्शन में क्यूरेटर्स नैरेटिव इरविन पैनोफ़्स्की की ‘देखो, देखो, सोचो’ की अवधारणा नजर आई। फिल्म स्क्रीनिंग के दौरान ब्रिटिश काउंसिल मूविंग इमेज कलेक्शन से चुनी गईं आठ अंतरर्राष्ट्रीय कलाकारों की फिल्मों को प्रदर्शित किया गया। हेतैन पटेल की फिल्म ने सबसे अधिक दर्शकों का ध्यान अपनी ओर खींचा। इस फिल्म में पटेल अपने शरीर पर मेहंदी को लगाकर खुद को कैनवास की तरह प्रस्तुत कर कला को दर्शाते हैं। इस दौरान ‘मेहंदी ते वावी मालवे ने रंग गयो गुजरात रे’ गीत का म्यूजिक पूरे माहौल को खुशनुमा बना देता है। हर फिल्म में अलग-अलग विषयों के माध्यम से दर्शकों को अलग-अलग संस्कृति से रू-ब-रू करवाया।

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