गौरतलब है कि डाली बाई बाबा रामदेव को एक पेड़ के नीचे मिली थी। ये पेड़ मुख्य मंदिर से करीब 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जो आजकल नेशनल हाईवे 15 पर पड़ता है। ऐसा कहा जाता है कि रामदेवजी जब बाल्यावस्था में थे, तब इस पेड़ के नीचे उन्हें एक नवजात शिशु मिला था। ये एक बच्ची थी। रामदेवजी ने इस बच्ची को अपनी मुंहबोली बहन बना लिया और डाली बाई नाम दिया। ये पेड़ अब ‘डाली बाई की जाल’ के नाम से जाना जाता है। श्रद्धालु यहां भी दर्शनार्थ पहुंचते हैं। उल्लेखनीय है कि बाबा रामदेव के दर्शन से पहले जोधपुर स्थित उनके गुरू बालीनाथ ( guru balinath ) के दर्शन के बिना रामदेवरा यात्रा ( ramdevra yatra ) अधूरी मानी जाती है। भाद्रपद महीने की द्वितीया ( baba ki beej ) पर गुरू बालीनाथ के दर्शन से रामदेवरा मेले की शुरुआत होती है।