पुलिस ने बताया कि 20 जून की सुबह पीड़िता के मोबाइल पर कॉल आया। कॉल करने वाले ने भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण का प्रतिनिधि बताते हुए नाम राजीव बताया। उसने डराया कि पीड़िता के आधार कार्ड से महाराष्ट्र में मोबाइल सिम जारी करवाई गई है और उससे अवैध गतिविधियां संचालित की जा रही है। पीड़िता ने दूसरी सिम जारी करवाने से इनकार किया तो जालसाज ने मुम्बई पुलिस से बात करवाने की कहकर कॉल ट्रांसफर कर दी और कॉल रिसीव करने वाले ने अपना नाम विनय खन्ना बताया और कॉल काट दिया। तुरंत ही दूसरे नंबर से कॉल आया और स्काइप सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करवाकर उस पर बात की। रिजर्व बैंक में वेरिफिकेशन के नाम पर पीड़िता के खाते से 20 लाख रुपए ट्रांसफर करने के लिए कहा।
पीड़िता ने एफडी तुड़वा कर 17 लाख रुपए ट्रांसफर कर दिए। इसके बाद झांसा दिया कि 6 से 8 घंटे में पैसा वापस बैंक खाते में आ जाएगा और शेष 3 लाख रुपए भी जमा करवाने होंगे। जालसाजों ने इस तरह पीड़िता के बैंक खाते से 17 लाख रुपए ठग लिए।
एफडी तुड़वाकर दिए पैसे
पीड़िता बैंक मैनेजर ने बताया कि जालसाज जैसे कहते गए…वैसे करती गई। कमरे में खुद को बंद कर लिया। उनको पैसे देने के लिए एफडी तुड़वा दी। बाद में म्यूचुअल फंड भी बंद करवा रही थी। लेकिन घरवालों ने फोन कटवा दिया। इससे शेष राशि बच गई। घरवालों ने बीच में टोका तो उन्हें सीबीआइ वाले कुछ पूछताछ कर रहे हैं, यह कहकर चुप कर दिया और कमरे में बंद हो गई।
पीड़िता बैंक मैनेजर ने बताया कि जालसाज जैसे कहते गए…वैसे करती गई। कमरे में खुद को बंद कर लिया। उनको पैसे देने के लिए एफडी तुड़वा दी। बाद में म्यूचुअल फंड भी बंद करवा रही थी। लेकिन घरवालों ने फोन कटवा दिया। इससे शेष राशि बच गई। घरवालों ने बीच में टोका तो उन्हें सीबीआइ वाले कुछ पूछताछ कर रहे हैं, यह कहकर चुप कर दिया और कमरे में बंद हो गई।