ऐसा नहीं है कि टोंक के मालपुरा में इस तरह का बवाल पहली बार हुआ हो। क्षेत्र में पहले भी कई बार माहौल बिगड़ चुका है। ऐसे में मालपुरा क्षेत्र की कानून व्यवस्था एक बार फिर सवालों के घेरे में है।
तब हुए बवाल में उग्र लोगों ने जयपुर-केकड़ी मार्ग जाम कर दिया। प्रदर्शनकारियों ने एंबुलेंस, पुलिस वाहन और रोडवेज बस में तोड़फोड़ की थी। जबकि एक कार में आग लगा दी थी। सामने आया था कि कावड़ यात्रा में करीब डेढ़ सौ लोग शामिल थे। एक समुदाय विशेष की बस्ती के सामने से गुजरते समय उन पर लाठी-सरियों व धारदार हथियारों से हमला किया गया था।
मुख्य रूप से भड़काने वाले भाषण नहीं देने और नारे नहीं लगाने सहित कई तरह की शर्तें रहती हैं। डीजे साउंड को लेकर भी आंशिक बंदिशें रहती हैं। प्रशासन और पुलिस दावा करते हैं पिछली बार के बवाल से सीख लेते हुए सुरक्षा के विशेष बंदोबस्त किए जाते हैं। घटना की पुनरावृति ना हो इसके लिए अतिरिक्त सुरक्षा बलों को तैनात किया जाता है। इसमें एसटीएफ और आरएसी सहित पुलिस के जवान शामिल रहते हैं।
पुलिस प्रशासन स्वीकृति में यात्रा के दौरान हथियार लेकर चलने पर सख्त पाबंदी रहती है। साथ ही निर्धारित रास्ते से निर्धारित समय अनुसार ही आयोजन की शर्त भी रखी जाती है। इतनी चाक-चौबंद व्यवस्था के दावों के बाद भी मालपुरा में स्थिति बिगड़ना कई तरह के सवाल खड़े करता है।
अगस्त 2018 में हुए बवाल के हाईलाइट्स – 23 अगस्त को कांवडिय़ों पर पथराव हुआ, घटना के बाद क्षेत्र में तनाव – 24 अगस्त को आगजनी, लूटपाट, पथराव की घटनाएं, माहौल और ज़्यादा बिगड़ा