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जयपुर

मालपुरा में अगस्त 2018 का ‘री-प्ले’, बवाल के बाद पहले भी लग चुका है कर्फ्यू- इंटरनेट रहे थे बंद

Curfew imposed in Malpura Rajasthan’s Tonk district ऐसा नहीं है कि टोंक के मालपुरा में इस तरह का बवाल पहली बार हुआ हो। क्षेत्र में पहले भी कई बार माहौल बिगड़ चुका है। ऐसे में मालपुरा क्षेत्र की कानून व्यवस्था एक बार फिर सवालों के घेरे में है।

जयपुरOct 09, 2019 / 03:21 pm

Nakul Devarshi

Curfew imposed in Malpura Rajasthan's Tonk district
जयपुर/टोंक।

( Curfew imposed in Malpura Rajasthan’s Tonk district ) राजस्थान के टोंक का मालपुरा एक बार फिर सुर्ख़ियों में है। दशहरा के अवसर पर मंगलवार को यहां निकले विजयदशमी जुलूस पर पथराव के बाद हालात इतने बिगड़ गए कि प्रशासन को बेमियादी कर्फ्यू लगाना पड़ गया। क्षेत्र में अफवाहों का बाज़ार और ज़्यादा ना गरमाये इसे देखते हुए इंटरनेट सेवाएं भी बंद कर दी गईं। मौके पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया है और लोगों को घरों से बाहर नहीं निकलने के लिए लगातार मुनादी भी की गई।

ऐसा नहीं है कि टोंक के मालपुरा में इस तरह का बवाल पहली बार हुआ हो। क्षेत्र में पहले भी कई बार माहौल बिगड़ चुका है। ऐसे में मालपुरा क्षेत्र की कानून व्यवस्था एक बार फिर सवालों के घेरे में है।
पिछले साल हुआ था ठीक ऐसा ही बवाल

मालपुरा में पिछले साल अगस्त माह में भी ठीक इसी तरह से हालात बिगड़े थे। तब बीसलपुर से मालपुरा आ रहे कावड़ यात्रियों पर अचानक हमला बोला गया था। इसमें 16 से ज्यादा कावड़ यात्री घायल हुए थे। तब भी मालपुरा में तनाव को देखते हुए क्षेत्र में कर्फ्यू लगाने की नौबत आई थी। उस दौरान भी इंटरनेट सेवाएं बंद की गई थी।

तब हुए बवाल में उग्र लोगों ने जयपुर-केकड़ी मार्ग जाम कर दिया। प्रदर्शनकारियों ने एंबुलेंस, पुलिस वाहन और रोडवेज बस में तोड़फोड़ की थी। जबकि एक कार में आग लगा दी थी। सामने आया था कि कावड़ यात्रा में करीब डेढ़ सौ लोग शामिल थे। एक समुदाय विशेष की बस्ती के सामने से गुजरते समय उन पर लाठी-सरियों व धारदार हथियारों से हमला किया गया था।
सशर्त दी जताई है किसी भी आयोजन की अनुमति मालपुरा में आये दिन बिगड़ते हालातों को देखते हुए स्थानीय पुलिस और प्रशासन भी सतर्क रहते हैं। पिछले साल हुए बवाल के बाद किसी भी आयोजन की अनुमति देने से पहले कड़ी शर्तें रखी जाने लगी हैं। आयोजनकर्ताओं की ओर से शर्तें स्वीकार करने के बाद भी विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखते हुए आयोजन की अनुमति दी जाती है।

मुख्य रूप से भड़काने वाले भाषण नहीं देने और नारे नहीं लगाने सहित कई तरह की शर्तें रहती हैं। डीजे साउंड को लेकर भी आंशिक बंदिशें रहती हैं। प्रशासन और पुलिस दावा करते हैं पिछली बार के बवाल से सीख लेते हुए सुरक्षा के विशेष बंदोबस्त किए जाते हैं। घटना की पुनरावृति ना हो इसके लिए अतिरिक्त सुरक्षा बलों को तैनात किया जाता है। इसमें एसटीएफ और आरएसी सहित पुलिस के जवान शामिल रहते हैं।

पुलिस प्रशासन स्वीकृति में यात्रा के दौरान हथियार लेकर चलने पर सख्त पाबंदी रहती है। साथ ही निर्धारित रास्ते से निर्धारित समय अनुसार ही आयोजन की शर्त भी रखी जाती है। इतनी चाक-चौबंद व्यवस्था के दावों के बाद भी मालपुरा में स्थिति बिगड़ना कई तरह के सवाल खड़े करता है।

अगस्त 2018 में हुए बवाल के हाईलाइट्स

– 23 अगस्त को कांवडिय़ों पर पथराव हुआ, घटना के बाद क्षेत्र में तनाव

– 24 अगस्त को आगजनी, लूटपाट, पथराव की घटनाएं, माहौल और ज़्यादा बिगड़ा
– तनाव और बिगड़ती कानून व्यवस्था के मद्देनज़र कर्फ्यू लगाया गया, इंटरनेट पर भी पाबंदी

– एक समुदाय विशेष की ओर से लगभग 107 नामजद व 300-400 अन्य अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर
– रिपोर्ट में सासंद, विधायक, भाजपा पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं को बनाया गया आरोपी

– विधायक व सांसद के नामजद मामले की जांच सीआईडी सीबी को सौंपी गई

– सप्ताह भर बाद हालात सामान्य बने, कर्फ्यू में ढील- इंटरनेट भी आंशिक बहाल
– टोंक-सवाईमाधोपुर सांसद सुखबीर सिंह जौनापुरिया, विधायक कन्हैयालाल चौधरी सहित 27 के खिलाफ नामजद रिपोर्ट

– 300-400 अन्य अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज

– सीआईडी सीबी को सौंपी गई जांच

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