बारीक नक्काशी के जरिये दिखाया हुनर
पत्रिका से खास बातचीत में शिल्पकार विनोद जांगिड़ ने बताया कि चंदन की लकड़ी से बनी इस तलवार की लंबाई 40 इंच है और चौड़ाई 2.5 से 4.5 इंच तक है। इसे मैसूर चंदन कहा जाता है। तलवार को तैयार करने में दो वर्ष का समय लगा। इसके फ्रंट में छह खिड़कियां है और एक खिड़की साइड में है। इस पर महाराणा प्रताप के शौर्य और पराक्रम की कहानी को बारीक नक्काशी के जरिये दिखाया गया है।
मालामाल: 3 महीने में घर में उगा दी केसर, कमरे को बनाया कश्मीर, सिर्फ इतना आया खर्चा और हो गई बढ़िया कमाई
…तो अधिकारियों को दिखाया पूरा क्लेक्शन
उन्होंने बताया कि बीते दिनों सरकार के अधिकारी उनके पास आए और उन्होंने कहा कि ऐसी कलाकृति चाहिए, जो खूबसूरत हो और सबसे अलग हो। तब उनको पूरा क्लेक्शन दिखाया। तब उन्हें ये चंदन की लकड़ी से बनी तलवार पसंद आई। जांगिड़ मूल रूप से चूरू के हैं। वर्तमान में रामनगर सोढ़ाला में रहते हैं।मिले कई अवॉर्ड
उत्कृष्ट कला के लिए विनोद को नेशनल अवॉर्ड, स्टेट अवॉर्ड और शिल्प गुुरु अवॉर्ड से समानित किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि वे इस कला में खुद की तीसरी पीढ़ी के कलाकार है। कई चीजें देशभर के साथ विदेशों में भी मंगवाई जाती है।
5 महीनों में 50 कारीगरों की मदद से बनाई 31 फुट की कृष्ण प्रतिमा, नाथद्वारा में हुई स्थापित
सात दृश्यों में शौर्य और पराक्रम की कहानी
पहली खिडक़ी: तलवार की नोंक पर बनी इस खिडक़ी की चौड़ाई 2.5 इंच है। इसमें महाराणा प्रताप की प्रतिमा बनाई गई है। दूसरी खिडक़ी: परिस्थिति को देखकर जब महाराणा प्रताप युद्ध छोडक़र जाते हैं, तो रास्ते में एक नाला आता है। इस खिडक़ी में उस नाले को पार करते हुए महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक को दिखाया है।