पुत्तूर के सहायक वन संरक्षण अधिकारी कार्यप्पा का कहना है कि वन विभाग की ओर से गणना के लिए पूर्व तौयारी के तौर पर क्षेत्रीय स्तर से क्षेत्रों को चिन्हित कर आईसीटी सेल को भेजा जाता है। सेल की ओर से इसका अध्ययन कर नक्शा बनाकर भेजते हैं। इसके अनुसार ही 106 ट्रांजिट लाइन को चिन्हित किया गया है। उस क्षेत्र में ही उन्हें घूमना चाहिए। उनकी पूरी तलाशी कार्य का लोकेशन के जरिए दर्ज होता है। गणना करने वालों को मोबाइल फोन के साथ वन में प्रवेश करना चाहिए।
प्रतिदिन पांच किमी क्षेत्र का सर्वेक्षण
पहले तीन दिन सीधे अवलोकन किया जाएगा। इसके अनुसार हर दल को प्रतिदिन पांच किलोमीटर के हिसाब से 15 किलोमीटर वन में घूमकर बाघ, तेंदुआ, हाथी, जंगली सूअर, सांभर, हिरण, जंगली भैंसा आदि वन्यजीवों को तलाशी करनी चाहिए। नजर आने वाले प्राणियों की जानकारी को मौके पर ही एप के जरिए अपलोड करना चाहिए।
फोटो सहित अपलोड
सीधा अवकोलन समाप्त होने के बाद प्राणियों के पंजों के निशान, पेड पर मौजूद खरोच के निशान, प्राणियों की लीद, प्राणियों की रुकने की जगह, बाघ, तेंदुआ आदि शिकारी प्राणियों आदि का पता लगाकर फोटो सहित अपलोड किया जाता है। घना जंगल, घाटी, घास का मैदान, शोला वन आदि जगहों पर गणना की जा रही है।
& जानकारी को टाइगर अथॉरिटी ऑफ इंडिया को भेजा जाता है। वे अध्ययन करते हैं। अत्यधिक परामर्श करने के बाद ही अंतिम आंकड़ों को टाइगर अथॉरिटी ऑफ इंडिया की ओर से प्रकाशित किया जाता है। जानकारी उपलब्ध करना मात्र हमारा कार्य है।
-जयप्रकाश, क्षेत्रीय वन अधिकारी, आईसीटी सेल, मेंगलूरु रेंज
प्रतिदिन पांच किमी क्षेत्र का सर्वेक्षण
पहले तीन दिन सीधे अवलोकन किया जाएगा। इसके अनुसार हर दल को प्रतिदिन पांच किलोमीटर के हिसाब से 15 किलोमीटर वन में घूमकर बाघ, तेंदुआ, हाथी, जंगली सूअर, सांभर, हिरण, जंगली भैंसा आदि वन्यजीवों को तलाशी करनी चाहिए। नजर आने वाले प्राणियों की जानकारी को मौके पर ही एप के जरिए अपलोड करना चाहिए।
फोटो सहित अपलोड
सीधा अवकोलन समाप्त होने के बाद प्राणियों के पंजों के निशान, पेड पर मौजूद खरोच के निशान, प्राणियों की लीद, प्राणियों की रुकने की जगह, बाघ, तेंदुआ आदि शिकारी प्राणियों आदि का पता लगाकर फोटो सहित अपलोड किया जाता है। घना जंगल, घाटी, घास का मैदान, शोला वन आदि जगहों पर गणना की जा रही है।
& जानकारी को टाइगर अथॉरिटी ऑफ इंडिया को भेजा जाता है। वे अध्ययन करते हैं। अत्यधिक परामर्श करने के बाद ही अंतिम आंकड़ों को टाइगर अथॉरिटी ऑफ इंडिया की ओर से प्रकाशित किया जाता है। जानकारी उपलब्ध करना मात्र हमारा कार्य है।
-जयप्रकाश, क्षेत्रीय वन अधिकारी, आईसीटी सेल, मेंगलूरु रेंज