जयपुर

बिनौला खल में लंबी तेजी के आसार नहीं

राजस्थान और गुजरात में पशुओं को मक्की खल खिलाने का चलन बढ़ रहा है। इसका एक कारण यह भी हो सकता है कि मक्का की खल बिनौला खल के मुकाबले सस्ती है।

जयपुरNov 25, 2022 / 01:32 pm

Narendra Singh Solanki

बिनौला खल में लंबी तेजी के आसार नहीं

राजस्थान और गुजरात में पशुओं को मक्की खल खिलाने का चलन बढ़ रहा है। इसका एक कारण यह भी हो सकता है कि मक्का की खल बिनौला खल के मुकाबले सस्ती है। देश में इस बार बिनौला का उत्पादन सभी उत्पादक केन्द्रों पर अधिक होने का अनुमान है, जिसके चलते इस बार बिनौला खल में लंबी तेजी के आसार नहीं दिखाई दे रहे हैं। प्रदेश की मंडियों में इस समय बिनौला खल के भाव 3500 से 3550 रुपए प्रति क्विंटल है। व्यापारियों के अनुसार, कपास से इस बार बिनौला की निकासी करीब 3.50 फीसदी अधिक बैठ रही है। मंडियों में कपास की गांठें भी अधिक आने के समाचार हैं। गौरतलब है कि राजस्थान एवं गुजरात में मक्के की खल का उपयोग ज्यादा होने लगा है। यहीं कारण है कि बिनौला खल की बिक्री प्रभावित हुई है। उधर, वायदा बाजार में बड़े सटोरियों ने काफी माल बेच दिया है, जो आगे चलकर डिलीवरी के लिए या डिफरेंस के लिए बाजार को तोड़ेंगे। यहीं कारण है कि मंडियों में बाजार धीरे-धीरे टूटने लगे हैं। इस बीच आदिलाबाद एवं अमरावती लाइन में बिनौला खल का उत्पादन लगातार बढ़ता जा रहा है। उत्पादन केन्द्रों पर बिनौला खल का स्टॉक भी ज्यादा होने की खबर है। मंडी के जानकारों का कहना है कि वायदा बाजार को सटोरिये बीच-बीच में तेज करने की कोशिश करेंगे। मगर बड़े सटोरियों के माल बिके हुए हैं। लिहाजा बिनौला खल में लंबी तेजी नहीं आ सकेगी।
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सीपीओ, पामोलीन की कीमतों में मामूली सुधार

विदेशी बाजारों में तेजी के रुख के बीच कच्चा पामतेल और पामोलीन का आयात खुला होने के कारण तेल-तिलहन बाजार में सीपीओ और पामोलीन तेल के दाम में मामूली सुधार आया। कम आपूर्ति के कारण थोक और खुदरा बाजार में सोयाबीन और सूरजमुखी तेल आयात भाव के मुकाबले कहीं ऊंचे दाम पर बिक रहे हैं। बाजार सूत्रों ने कहा कि खुदरा और थोक बाजार में सूरजमुखी और सोयाबीन तेल आयात भाव के मुकाबले भारी अंतर से महंगे बिक रहे हैं। सूरजमुखी तेल का भाव लगभग 25 प्रतिशत ऊंचे में मिल रहा है, जबकि सोयाबीन तेल लगभग 10 प्रतिशत ऊंचा बिक रहा है, जबकि विदेशी बाजारों में सूरजमुखी तेल, सोयाबीन तेल से 35 डॉलर प्रति टन नीचे हो गया है।

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