गहलोत ने सोशल मीडिया के जरिए यह बात कही। उन्होंने कहा कि अब कोरोना का नया रूप प्रकट हुआ है और देश में भयावह स्थिति बनती जा रही है एवं लॉकडाउन और कर्फ्यू लगाने जैसे सख्त फैसले करने पड़ रहे हैं।
प्रधानमंत्री को पूर्व की तरह राज्यों से विस्तार से चर्चा करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि एक तरफ तो हम जनता को कोविड प्रोटोकॉल फॉलो करने के लिए कहते हैं और दूसरी तरफ चुनावों में लाखों लोगों की भीड़ की रैलियां और रोड शो होते रहे। ऐसा सब बिहार चुनाव से ही हो रहा है।
राजनेता चाहते तो वर्चुअल रैली जैसे विकल्पों का इस्तेमाल कर भीड़ इकट्ठा होने से रोक सकते थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि न्यायपालिका और चुनाव आयोग भी अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकते हैं। उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय ने राज्यों के विरोध के बावजूद पंचायतों एवं स्थानीय निकायों के चुनाव कराने के आदेश दे दिए।
चुनाव आयोग अपने कर्तव्यों की पूर्ति मानते हुए चुनावों की घोषणा करता रहा। नेताओं ने जमकर प्रचार किया और भीड़ आती रही। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने ठीक कहा है कि कोरोना संक्रमण फैलने के लिए हम राजनेता भी कुछ हद तक दोषी हैं।