रात्रि में सोचा कि सूचना गलत तो नहीं हो सकती, इसे डवलप करनी पड़ेगी। सुबह सात बजे वापस चौखटी पर पहुंच गया। वहां पर मजदूरों से बातचीत की, आरोपी की फोटो दिखाई, तो कुछ लोगों ने उसे पहचान लिया और नजदीक ही पवन विहार कॉलोनी में रहने वाला बताया। डोर-टू-डोर तलाश करनी थी, ऐसे में तकनीकी शाखा के कांस्टेबल देवराज और कांस्टेबल मंजू को बुलाकर घर-घर दस्तक दी।
करीब पचास मकान में तलाश के बाद आरोपी हेमेन्द्र का मकान मिला। वहां पर बच्चा भी मिल गया , जिसे आरोपी और घर में मौजूद एक महिला अपना बच्चा बता रही थी। उनसे बच्चा लेने का प्रयास किया, लेकिन वे ना-नुकुर करने लगे। उनसे बच्चा छीना और उसकी फोटो क्लिक कर उच्चाधिकारियों को भेजी। बच्चे के परिजन को फोटो दिखाई तो उन्होंने पहचान लिया। आखिरकार इस तरह से बच्चा मिलने पर पुलिस ही नहीं पूरे जयपुर ने राहत की सांस ली।
डीसीपी ईस्ट राजीव पचार ने बताया कि अपहरण के बाद आरोपी बच्चे का अपने घर ले गया था। तीन दिन वहीं पर रखा। आस-पास में किसी को शक न हो, इस कारण उसने अपनी छोटी बेटी को ससुराल भिजवा दिया। ताकि घर में बच्चों की संख्या समान ही रहे। अपहरण में हेमेंद्र के परिवार की भूमिका का भी पता लगा रहे हैं। भूमिका स्पष्ट होने पर उन्हें भी गिरफ्तार किया जा सकता है।
अपहृत दिव्यांश व आरोपी को तलाशने के लिए पुलिस ने पोस्टर व मैसेज सोशल मीडिया पर वायरल किए। आमजन ने हाथों-हाथ उन्हें शेयर कर आगे से आगे बढ़ाया। पुलिस को राजस्थान के झुंझुनूं, चित्तौड़गढ़, दौसा, सांगानेर और मध्यप्रदेश से कई सूचनाएं प्राप्त हुईं। पुलिस टीमों को वहां भेजा भी गया और हर सूचना को वेरिफाइ करने का प्रयास किया। पुलिस अधिकारियों ने भी जयपुर के लोगों का धन्यवाद दिया कि उन्होंने सोशल मीडिया पर बच्चे को ढूंढने में सहयोग किया।
पुलिस आयुक्तालय में जब दिव्यांश को उसकी दादी ढोली देवी को सौंपा तो उसकी आखें चमक उठी। बच्चे को गोद में लेकर उसे लाड़ करते हुए दादी बोलीं, मेरा लाल मिल गया। जो म्हारा लाल न लेर आयो वे देवता छै। आज मने सुकून की नींद आवेली। दादी ढोली देवी ने बीते तीन दिन से खाना भी नहीं खाया। शनिवार को वह दिव्यांश को गोद में लेते ही चहक पड़ी।