वहीं इस मामले में अब वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और 20 सूत्री कार्यक्रम क्रियान्वयन समिति के उपाध्यक्ष डॉ चंद्रभान ने उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ पर निशाना साधा है। चंद्रभान ने कहा कि राजेंद्र राठौड़ किस हैसियत से अपने आगे उपनेता प्रतिपक्ष लिखते हैं? डॉ चंद्रभान ने आज प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि राजेंद्र राठौड़ विरोधी दल में है और उन्हें पत्र लिखने का हक है, लेकिन आज राजेंद्र राठौड़ खुद किस पद पर हैं। यह उन्हें बताना चाहिए क्या उप नेता प्रतिपक्ष का पद विधानसभा के नियम और व्यवस्थाओं में आता है।
वह किस हैसियत से अपने आपको नेता प्रतिपक्ष लिखते हैं। चंद्रभान ने कहा कि शुक्रवार को मुख्यमंत्री आवास पर हुई बैठक में भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने साफ स्पष्ट कर दिया था कि विधायकों को मंत्री का दर्जा नहीं दिया जाएगा। उसके बाद विरोध करने की कोई बात ही नहीं बचती है। गौरतलब है कि गहलोत सरकार ने हाल ही में 58 नेताओं को राजनीतिक नियुक्तियों में एडजस्ट किया है, जिनमें से 11 विधायक हैं जिन्हें बोर्ड-निगमों और आयोगों में चेयरमैन बनाया गया है।
सरकार को जमीनी फीडबैक देने के सवाल पर डॉ चंद्रभान ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का कहने का मतलब यह नहीं था कि अधिकारी गलत फीडबैक देते हैं। उन्होंने कहा कि हम राजनीतिक पार्टी से हैं राजनीतिक पार्टी किसी लोकतंत्र में सरकार होती है।
हमें अधिकारियों के फीडबैक पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। पार्टी के सीनियर लीडर को भी फीडबैक देना है। अधिकारी अपने तरीके से फीडबैक देते हैं जरूर नहीं कि वह जो फीडबैक दे रहे हो सही हो, इसलिए मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को अपने आवास पर हुई बैठक में राजनीतिक नियुक्तियों में एडजस्ट किए गए नेताओं निर्देश दिए थे कि वह प्रदेश के दौरे करें और सरकार को जनता का फीडबैक दें।