इन दोनों भाइयों का बचपन एक मध्यम परिवार में गुजरा है। इनके पिता किसान हैं। इन्होंने पढाई गांव के सरकारी स्कूल से जबकि ग्रेजुएशन राजकीय महाविद्यालय से की वो भी आर्ट्स में पूरी की। इनके पास कोई आइआइटी या इंजीनियरिंग की टेक्निकल डिग्री नहीं हैं, ना ही किसी आईटी कंपनी में जॉब की, ना ही बिज़नेस का फैमिली बैकग्राउंड। और सबसे बड़ी बात ना ही इनको एक भी रुपए की कोई फंडिंग हुई। पैसों के अभाव में डोएअक सोसाइटी से स्वयंपाठी के तौर पर कंप्यूटर के कोर्स किए। फिर भी इन दोनों भाइयों ने आज डोग्मा सॉफ्ट को पब्लिक लिमिटेड़ कंपनी बनाते हुए अपनी कड़ी मेहनत और सच्ची लगन से देश के कोने-कोने में पंहुचा दिया।
पवन ने बताया कि 2007 में
जयपुर आये तब कई जगह नौकरी की और बच्चो को ट्यूशन पढ़ाया। फिर दोस्तो ने आईटी बिज़नेस के बारे में बताया। लेकिन तब हमें बिज़नेस के बारे में कुछ भी पता नहीं था। हम दोनों भाइयों ने 2009 में कंपनी की प्लानिंग शुरू की और 29 जनवरी 2010 को 500 रूपये में रजिस्ट्रेशन करा के एक छोटे से कमरे से कंपनी की नीव रखीं, जिसका साइज़ एक चारपाई जीतना था इसी में हम दोनों भाई रहते भी थे। आईटी कंपनी के लिए कंप्यूटर सबसे जरुरी होता है। इसलिए सबसे पहले एक कंप्यूटर किश्तों पर ख़रीदा और सॉफ्टवेर एवं वेबसाइट का
काम शुरू किया।
फिर एक दिन सोचा की हम सिर्फ वेबसाइट कंपनी हैं और कोई भी आईटी कंपनी एक निश्चित दायरे में ही होती है तो देश के कोने–कोने में ग्राउंड लेवल पर केसे अपनी पहचान बनाई जाये और देश व आम आदमी के लिये हर क्षेत्र में कुछ किया जायें? और फिर हमनें हमारा नेटवर्क बनाना स्टार्ट किया क्योंकि ये जब ही सम्भव था तब हमारे पास देश के हर राज्य, जिला, शहर, तहसील, पंचायत, गाँव में डोग्मा का कोई नेत्रत्व करे और आज डोग्मा सॉफ्ट लिमिटेड़ देश के 34 राज्यों, केंद्रशासित प्रदेश, 613 जिलों में 10,000 बिज़नेस पार्टनर्स के साथ काम कर रहीं हैं।
साथ की साथ हमने आईटी का यूज़ कर के हर क्षेत्र के लिए काम करना स्टार्ट किया। आज हम स्टार्टअप कंपनियों के लिए रजिस्ट्रेशन से लेकर उनके बिज़नेस की ऑनलाइन प्रजेंस के लिए आईटी सर्विसेज कम से कम पैसों में उपलब्ध करवा रहें है। तभी तो आज हमारे पास जम्मू से सेलम तक क्लाइंट है। साथ-साथ SME को अवेयर कर रहें है कि वों उनके व्यापार को बढ़ाने के लिये, वो डिजिटल मीडिया का आसान तरीके से कैसे यूज़ करे?
जो बिज़नेसमेन हैं उनको आईटी से जोड़कर उनके बिज़नेस की वर्ल्ड लेवल पर पहचान बनाने में सहायता कर रहें है और जो बड़े ब्रांड है उनको देश के हर कोने में ग्रामीण क्षेत्र तक हमारें बिज़नेस पार्टनरो के मध्यम से पंहुचा सकते हैं। भारत में आज भी ऑनलाइन कंपनियों को लोगों को लोकल भरोसा दिलाने व समझाने के लिये, ऑफलाइन टीम की जरुरत है।
हमने सोचा की शहर जैसी सभी सुविधायें यदि गाँवो में प्रदान की जाये तो
रोजगार के साथ-साथ ग्रामीण भारत के लोगों को शहर आने की जरुरत नहीं पड़ेगी उससे इंधन, पैसा व समय बचेगा एवं सड़कों पर ट्रैफिक कम होगा और दुर्घटनाओ में भी कमी आएगी। उसके लिए एवं
डिजिटल इंडिया में सहयोग देने एवं लोगो को स्मार्ट बनाने के लिए ‘बि स्मार्ट सिटिज़न’ एप्लीकेशन बनाई, इस एप्लीकेशन का मुख्य उधेश्य आम लोगों को आईटी के तहत दैनिक जीवन के कार्य जैसे रिचार्ज, बिल भुगतान, एटीएम, बस, ट्रेन, फ्लाइट, होटल, टेक्सी बुकिंग, मिनी बैंक, शॉपिंग आदि सुविधाये उपलब्ध करवाना।
श्याम ने बताया कि आज ज्यादातर स्टार्टअप कंपनिया फंडिग बेस है उनका कोई रेव्नेयू मॉडल नहीं होता। जब तक रेव्नेयू मॉडल नहीं होता, बिज़नेस आगे नहीं बढ़ सकता। जो इस तरीकें से कंपनी का मॉडल नहीं रखते, ऐसी कंपनिया थोड़े दिन में बंद हो जाती है। हमनें कंपनी की शुरुआत से अब तक एक रुपया भी कंही से फंडिंग के नाम पर नहीं लिया।
भारत में बेरोजगारी आज एक महामारी का रूप ले चुकी है तो इसे देखते हुये अब हमारा मुख्य उधेश्य है कि रूरल एन्टरप्रेन्योर को बढावा देते हुये लोगों को उनके क्षेत्र में बिना किसी निवेश के रोजगार उपलब्ध करवाना। इससे आसपास के एरिया, गाँव के लोगों को आईटी के माध्यम से डेली रूटीन की समस्याओं का समाधान मिले और हम 20 लाख लोगों को रोजगार उपलब्ध करवा कर देश की सबसे बड़ी जॉब देने वाली कंपनी बने।