यह भी पढ़ें
कुलपति की योग्यता के सवाल पर पायलट बोले, ‘कोई भी सरकार हो, योग्य को दें पद ताकि नींव हो मजबूत’
भूंगर खां ने कार्यक्रम की शुरूआत राजस्थानी संस्कृति के प्रतीक गीत ‘केसरिया बालम आवो नी पधारो म्हारे देस’ से की। इसके बाद उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण के लोक भजन ‘श्री राधा रानी दे डारो नी बंसी हमारी’ के अलावा ‘सत गुरू वारी जाउं बलिहारी’ और राजस्थानी हिचकी सहित राजस्थान के मांगणिहार समुदाय की ओर से गाए जाने वाले अनेक लोकगीत पेश किए। कार्यक्रम की दूसरी कड़ी में मंच पर आए देश के जाने-माने कव्वाल उस्ताद मोहम्मद अहमद वारसी नवाज। उन्होंने अपना कार्यक्रम सूफी अंदाज़ में करते हुए अल्लाह की शान में हम्द अल्लाह हू-अल्लाह हू से की। इसके बाद उन्होंने हजरत अमीर खुसरो का चर्चित कलाम ‘छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नयना मिलायके’, ‘बहुत कठिन डगर है पनघट की’ सहित अनेक कव्वालियों के जरिए अपने फन का प्रदर्शन किया। उनकी प्रस्तुति में समय समय पर पेश की किए अर्थपूर्ण शेरों ने वहां मौजूद लोगों की जमकर वाहवाही लूटी। उनके साथ हारमोनियम पर खालिद हुसैन, तबले पर अरशद हुसैन, कोरस पर वारिद हुसैन, गुलाम रसूल और अख़लाक अहमद ने तबले पर संगत की। कार्यक्रम के अंत में कॉलेज की प्राचार्या डॉ. सीमा अग्रवाल ने कलाकारों और श्रोताओं का धन्यवाद ज्ञापित किया। अर्चना मेहता ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए कलाकारों का परिचय दिया।
स्पिकमैके के प्रवक्ता राजीव टाटीवाला ने बताया कि समारोह के दूसरे दिन रविवार शाम 6 बजे से जानी-मानी वॉयलिन वादक पद्मश्री कला रामनाथ और शास्त्रीय गायिका पद्मश्री श्रुति साडोलीकर के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। कार्यक्रम में संगीत प्रेमियों का प्रवेश निःशुल्क रखा गया है।