सीएम गहलोत ने आज मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि जब वे मुलजिम नहीं थे तो फिर हाईकोर्ट क्यों गए? गहलोत ने कहा कि गजेंद्र सिंह शेखावत, उनके परिवार के सदस्य और नजदीकी लोग सब संजीवनी घोटाले के मामले में मुलजिम हैं। यह बहुत ही गंभीर मामला है, जिसमें 2 लाख से ज्यादा लोग बर्बाद हो रहे हैं। केंद्रीय मंत्री को इस मामले में शर्म आनी चाहिए और अपनी गलती स्वीकार करनी चाहिए और अपने दोस्तों और खुद की जो संपत्ति देश- विदेश में है उसे बेचकर लोगों का पैसा चुकाना चाहिए।
कई जिलों के लोग प्रभावित
मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि संजीवनी केस में जैसलमेर, जोधपुर, बाड़मेर सहित कई जिलों के लोग पीड़ित हैं, कई जिलों से लोग मेरे पास भी आए थे और रोने लगे थे। गहलोत ने कहा कि मुझे गुस्सा आ रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने मंत्रिमंडल से ऐसे भ्रष्ट मंत्री को बर्खास्त नहीं किया है।
प्रधानमंत्री को भी चाहिए कि वह उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर करें। केंद्रीय मंत्री में अगर जरा सी भी नैतिकता है तो उन्हें कहना चाहिए कि वह जनता का पैसा चुकाएंगे। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि केंद्रीय मंत्री बनना बहुत सम्मान की बात होती है, जब वो केंद्रीय मंत्री बन गए थे तो उन्हें और क्या चाहिए था। एक विधायक बनने के बाद ही आदमी खुश हो जाता है कि उसे काम करने का सौभाग्य मिला है। सीएम गहलोत ने कहा कि अगर वो इस मामले में आरोपी नहीं है या उनकी भूमिका नहीं है तो फिर वो गिरफ्तारी से बचने के लिए हाईकोर्ट क्यों गए।
गौरतलब है कि संजीवनी घोटाले के मामले में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत लगातार केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह पर लगातार हमलावर है तो वहीं केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ दिल्ली की एक अदालत में मानहानि का केस दर्ज करवाया है।