पूनियां ने सीएम की भाषा को लेकर भी पलटवार किया। उन्होंने कहा कि पिछले दो साल से गहलोत स्टीरियो टाइप रट रटाई बात करते हैं। वो संघवाद की बात तो करते हैं लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को लेकर जिस तरह की भाषा का वो प्रयोग करते हैं वो संघवाद का उल्लंघन है। पूनियां ने सरकार पर किसानों से वादाखिलाफी का आरोप लगाया और कहा कि 10 में कर्जामाफी की बात कही थी, लेकिन किसानों का पूरा कर्जामाफ करने की बजाय पूर्ववर्ती सरकारों की तरह केवल सहकारिता के कर्जे को ही माफ किया गया। पूनियां ने यह भी कहा कि जिन कृषि बिलों को लेकर कांग्रेस किसानों को बरगलाने का काम कर रही है। यह उनके 2019 के घोषणा पत्र में शामिल था। यही नहीं खुद कपिल सिब्बल ने संसद में एपीएमएसी में बदलाव और निजी कृषि बाजार खोलने की बात कही थी। इसका सभी ने समर्थन किया था। गहलोत और कांग्रेस यूटर्न लेने में माहिर हैं। पूनियां ने मुख्यमंत्री के डिनर को लेकर कहा कि एक तरफ तो धरना दे रहे हैं शाम को डिनर करेंगे। यह किसी आंदोलन को हिस्सा नहीं हो सकता कि दिन में उपवास और शाम को भरपेट जीमोगे यह बात सही नहीं है।
सिविल लाइंस में उप चुनाव कराएं तो मैं भी आमेर के लिए तैयार मध्यावधी चुनाव को लेकर पूनियां के बयान पर खाचरियावास ने पलटवार किया था। इस पर पूनियां ने कहा कि अगर वो वो सिविल लाइंस में चुनाव के लिए तैयार हैं तो मैं भी आमेर में चुनाव करवाने को तैयार हूं। पूनियां ने कहा कि दो साल की नाकामी और अपने झगड़े को छुपाने के लिए कांग्रेस हमेशा भाजपा पर आरोप लगाती है।
कांग्रेस की कार्यकारिणी कहां है कांग्रेस की प्रदेश कार्यकारिणी नहीं बनने के मामले में पूनियां ने कहा कि वो हमें कहते थे कि भाजपा की कार्यकारिणी नहीं बनी। मगर छह महीने हो गए वो अपनी कार्यकारिणी कागज पर भी नहीं लिख पाए।