डॉ. देवेंद्र ने बताया कि आमतौर पर किडनी ट्रांसप्लांट के बाद मरीजों को 10-15 दिन तक चलने में कठिनाई होती है। लेकिन रोबोटिक सर्जरी के बाद मरीज अगले दिन बिस्तर पर बैठने में सक्षम थे और केवल दो दिनों में चलने लगे। इस सर्जरी में डॉ. प्रतीक, डॉ. महेश, डॉ. गौरव, डॉ. निखिल और एनेस्थेसिया टीम का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा। हॉस्पिटल के वाइस प्रेसिडेंट अनुभव सुखवानी ने इस तकनीक को चिकित्सा क्षेत्र में क्रांतिकारी बताया, जिससे भविष्य में जटिल सर्जरी को सरल बनाया जा सकेगा।