यों समझें ट्रिपल फिल्टर तकनीक को रिसीविंग चैंबर-बांध से पानी यहां एकत्र किया जाता है और फिर यहां केमिकल डोजिंग होती है और पहले चरण में पानी फिल्टर हो जाता है। पल्सेटर यूनिट-रिसीविंग चैंबर से पानी यहां आता है और फिल्टर होता है। यहां पानी में मिली मिट्टी व अन्य तरह की गंदगी साफ हो जाती है।
फिल्टर बेड-यहां पानी का रंग, पीएच (लवण), टीडीएस (ठोस अवयव) व शुद्धता के अन्य मानक फिल्ट्रेशन के माध्यम से निर्धारित किए जाते हैं। क्लोरीनेशन-फिल्टर बेड से पानी स्वच्छ जलाशय में पहुंचता है और यहां पानी का क्लोरीनेशन किया जाता है जिससे पानी 100 प्रतिशत शुद्ध हो जाए।
प्रत्येक दो घंटे में जांच-पानी में रंग, टीडीएस, मैलापन, क्लोरीनेशन और बैक्टीरिया के मानकों की जांच होती है। बालावाला-सूरजपुरा प्लांट से पानी जयपुर के बालावाला पंप हाउस पहुंचने के बाद फिर से क्लोरीनेशन किया जाता है जिससे पानी की शुद्धता कोई कमी नहीं हो।
सूरजपुरा फिल्टर प्लांट फैक्ट फाइल 65 करोड लीटर पानी हो रहा प्रतिदिन फिल्टर 52 करोड़ लीटर साफ पानी शहर के लिए सप्लाई बीसलपुर सिस्टम से शहर के लिए सप्लाई किए जा रहे पानी से की गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं हो सकता। हम पल्सेटर तकनीक से कई स्तरों पर पानी का शुद्धिकरण कर रहे हैं। यह भी कोशिश कर रहे हैं कि शुद्धिकरण के लिए नई तकनीक काम में लें।
अमिताभ शर्मा, अतिरिक्त मुख्य अभियंता, जयपुर