यहां से मौजूदा विधायक हैं सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री अरुण चतुर्वेदी। पहली बार विधायक बने हैं। उनके प्रतिद्वंद्वी रहे कांग्रेस के प्रतापसिंह खाचरियास। चुनावी दौर है। टिकट बंटने वाले हैं। ऐसे में दोनों नेताओं का ग्राउंड टैस्ट करने पहुंचे सीधे क्षेत्र की जनता के पास।
लोगों से बातचीत में नतीजा सामने आया कि मतदाता मौजूदा विधायक से खुश नहीं है, उनकी पांच साल तक दूरी लोगों को कचोटे जा रही है। उधर, खाचरियावास कुछ सक्रिय तो रहे लेकिन ये सक्रियता नतीजों में कम ही तब्दील हो पाई।
क्षेत्र के वार्ड 31 का रामनगर इलाका। धनतेरस के दिन बर्तन की दुकान पर भीड़ लगी थी। विधायक के बारे में सवाल किया तो दुकानदार संजय जैन बोले, महाराज— धनतेरस है कुछ खरीद लो, नेतागीरी की बातें तो 7 तारीख को वोट डालने के बाद कर लेना। इतने में आसपास के दुकानदार और अन्य लोग भी आ गए। बैंक से सेवानिवृत स्थानीय निवासी पी.सी. पाटनी ने समस्याओं की फेहरिस्त रख दी। साथ ही स्पष्ट भी किया कि मैं किसी पार्टी के पक्ष—विपक्ष में नहीं हूं लेकिन हकीकत जरूर बताऊंगा।
विधायक के कार्यों के बारे में पूछा तो संजय जैन ने कहा— हां दी है ना, यहां नहीं आकर। एक अन्य दुकानदार कमल शर्मा बोले-चतुर्वेदी हमारे विधायक हैं, उन्हें जनता के बीच आते रहना चाहिए, भले ही काम नहीं हो।
रामचंद्र यादव भी बोल पड़े— क्या हमारा यही कसूर है कि हमारे विधायक सरकार में मंत्री हैं जिनको राजकाज से समय नहीं मिल पाता? ऐसा है तो अब जो भी विधायक होगा, उससे यही कहेंगे कि वह मंत्री नहीं बने, विधायक बनकर ही सेवा कर ले।
इतनी नाराजगी की हकीकत पता करने के लिए आगे निकला तो कुछ ही दूर स्कूटर स्टॉर्ट कर रहे रामलाल मिश्रा से पूछा। उन्होंने कहा कि चतुर्वेदी अच्छे व्यक्ति हैं। क्षेत्र में सुविधाएं बढ़ी हैं। पर यह अनवरत प्रक्रिया होनी चाहिए।
न्यू सांगानेर रोड पर श्याम नगर की गिरनार कॉलोनी में ही परचून की दुकान पर बैठे वीरेन्द्र आमेरिया की बात को वहीं बैठे रामजीलाल वैष्णव ने समर्थन किया। कहा— किसी के प्रति नजरिया नहीं बना लेना चाहिए, हकीकत पात करनी होगी।
गुर्जर की थड़ी और कटेवा नगर में कुछ लोग चुनाव पर चर्चा कर रहे थे। मैंने तपाक से पूछा- आपका विधायक कौन है? बोले— विधायक का नाम बता कर उनमें से एक बोला-विधायक ने डिस्पेंसरी का काम कराया, ट्यूबवैल के जरिए पानी की कमी को दूर कराने की कोशिश की। इस पर महेश मिश्रा बोले हमसे बिना पूछा, जरूरत जाने बिना ही काम कराए जाते हैं। पिछले चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार रहे प्रताप सिंह खाचरियावास का नाम सामने आया। हमने पूछा कि कौनसा मुद्दा है जिसमें उन्होंने साथ दिया।
पास में बैठे लोकेश कुमार जांगिड़ ने बोले— फोन करते ही सक्रिय तो हो जाते हैं लेकिन नतीजा नहीं मिल पाता। बात खत्म होती, बीच में ही रमेश कुमार पांचाल ने मुद्दे को धार दे दी।
कहा— खाचरियावास जमीन से जुड़े आदमी हैं, लेकिन बीच—बीच में कटाक्ष करने से भी नहीं चूके, जमीन से जुड़े हैं लेकिन जमीन पर ज्यादा फोकस नहीं रखना चाहिए। सभी से पूछा कि आपके क्षेत्र में ऐसा मुद्दा तो बताओ जिसकी आवाजा उन्होंने उठाई। कोई ऐसा बड़ा मामला नहीं बता पाए..लेकिन दीपक श्रीवास्तव ने कहा—हां, ठेका बंद कराने में साथ जरूर दिया था। शराब के मुद्दे पर लोगों ने सरकार को कोसना शुरू कर दिया।
फिर बात पेयजल कटौती से लेकर सड़क पर बहते सीवरेज तक आ पहुंची। उनसे पूछा अबकी बार टिकट किसको? इस पर मिश्रा थोड़ा रुक कर बोले- क्या फर्क पड़ता है। किसी को भी टिकट दो, वोट तो देना ही है भले ही वह निहाल नहीं करे।
जरूरत के काम कराए
पेयजल, शिक्षा, चिकित्सा, सामाजिक सरोकार से जुड़े बड़े काम कराए, खुद जनता बता सकती है। द्रव्यवती नदी से प्रभावितों को आवास दिलवाए गए। कई किलोमीटर में फैले बड़े इलाकों में पेयजल लाइन समस्या दूर हुई।
अरुण चतुर्वेदी, स्थानीय विधायक
पेयजल, शिक्षा, चिकित्सा, सामाजिक सरोकार से जुड़े बड़े काम कराए, खुद जनता बता सकती है। द्रव्यवती नदी से प्रभावितों को आवास दिलवाए गए। कई किलोमीटर में फैले बड़े इलाकों में पेयजल लाइन समस्या दूर हुई।
अरुण चतुर्वेदी, स्थानीय विधायक
लोग बताएंगे मेरी सक्रियता
हारा पर जनता के मुद्दों पर साथ रहा। गंदे पानी का मामला हो, द्रव्यवती नदी से प्रभावितों को आवास दिलाने का उदाहरण सामने है। सभी में लोगों के साथ खड़ा रहा। खुद लोग बता देंगे कि कितना सक्रिय रहा।
प्रतापसिंह खाचरियावास, प्रतिद्वंद्वी
हारा पर जनता के मुद्दों पर साथ रहा। गंदे पानी का मामला हो, द्रव्यवती नदी से प्रभावितों को आवास दिलाने का उदाहरण सामने है। सभी में लोगों के साथ खड़ा रहा। खुद लोग बता देंगे कि कितना सक्रिय रहा।
प्रतापसिंह खाचरियावास, प्रतिद्वंद्वी