जयपुर

अब रीडवलपमेंट से बदलेगी राजस्थान के शहरों की सूरत, जानिए क्या है बड़ी योजना?

Rajasthan News: प्रदेश के शहरों में अब नए डवलपमेंट से ज्यादा रीडवलपमेंट (पुनर्विकास) पर फोकस होना है। यानि, मौजूदा इमारत या इलाके को लोगों की जरूरत के आधार पर नए सिरे से विकसित करना।

जयपुरMar 27, 2024 / 08:25 am

Omprakash Dhaka

Jaipur News: प्रदेश के शहरों में अब नए डवलपमेंट से ज्यादा रीडवलपमेंट (पुनर्विकास) पर फोकस होना है। यानि, मौजूदा इमारत या इलाके को लोगों की जरूरत के आधार पर नए सिरे से विकसित करना। केन्द्र सरकार के साथ-साथ विषय विशेषज्ञों ने भी इसकी जरूरत बताई है। इसके लिए दो कंसेप्ट पर काम होगा, एक कैम्पस डवलपमेंट और दूसरा लोकल एरिया प्लानिंग शामिल है। लोकल एरिया प्लानिंग की जिम्मेदारी गुजरात की सेप्ट (सेंटर फॉर एनवायरमेंटल प्लानिंग एंड टेक्नोलोजी) यूनिवर्सिटी को दी गई है, जबकि कैम्पस डवलपमेंट का काम स्थानीय निकाय को करना है।


लोगों का ध्यान रखेंगे तो ही तेजी से बढ़ेंगे कदम
देश के जिन शहरों में पुनर्विकास के कंसेप्ट को अपनाया गया है, वहां लोगों की सहूलियत को ध्यान में रखा गया है। इसलिए भूखंडधारियों और दुकान मालिकों को रीडवलपमेंट एरिया में ज्यादा से ज्यादा सुविधा मिले, इसके लिए अलग से नियम बनाए गए हैं। इसी कंसेप्ट को जयपुर और प्रदेश के दूसरे शहरों में भी अपनाने की जरूरत है।

 

 

यह है कंसेप्ट

1. कैम्पस डवलपमेंट

एक परिसर में बनी इमारत या भवन को पूरी तरह या आंशिक हटाकर उसकी जगह नई इमारत बनाना। मौजूदा जरूरत के आधार पर इमारत की ऊंचाई बढ़ाना और ज्यादा से ज्यादा आवासीय या कॉमर्शियल यूनिट का निर्माण करना। खुला एरिया भी बढ़ाना।

 

2. लोकल एरिया डवलपमेंट

-शहरों में ऐसे इलाके हैं जो बेहद महत्वपूर्ण है और जहां घनी आबादी बस चुकी है। इन इलाकों को और बेहतर तरीके से उपयोगी बनाया जा सके।

-इसके लिए मौजूदा भवनों की जगह आपसी समन्वय से वर्टिकल डवलपमेंट हो। सड़क चौड़ी करने के साथ ड्रेनेज, सीवरेज सहित अन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना।

-ऐसी जमीन, भवन तलाशना, जहां बहुमंजिला इमारतें बन सकें। इससे एक ही जगह कई परिवार रह सकें और बाकी की जमीन पर सुविधाएं विकसित करें। इनमें कॉमर्शियल गतिविधि, पार्किंग, पार्क व अन्य सुविधा शामिल।

-सड़कों की चौड़ाई बढ़ाना, जिससे सार्वजनिक परिवहन का संचालन बढ़ाया जा सके।

-लोगों की जरूरत, व्यावसायिक हित व अन्य जन सुविधाओं पर फोकस हो।

-इसके जरिए स्थानीय लोगों की प्रॉपर्टी की वेल्यू और आय स्त्रोत बढ़े। उन्हें रहने और व्यवसाय के लिए पहले से ज्यादा जगह उपलब्ध हो।

-स्थानीय निकायों, विकास प्राधिकरण, यूआईटी को ज्यादा राजस्व कैसे मिले, इस पर भी फोकस।

 


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एक्सपर्ट – इसलिए भी बता रहे जरूरी..

-वर्टिकल (ऊंचाई) विकास

-मिश्रित भू-उपयोग, चारदीवारी की तर्ज पर

-कम क्षेत्र में घनी आबादी बसावट

-आवासीय व कॉमर्शियल सुविधा बढ़ेगी

-रोजगार के कई विकल्प खुलेंगे

-ईंधन युक्त वाहनों पर कम निर्भरता

-चिन्हित सीमा का आवश्यक रूप से निर्धारण

-कंक्रीट निर्माण के अनुपात में ही खुला क्षेत्र

-हरियाली क्षेत्र का बड़ा हिस्सा विकसित होगा

-आवास से कुछ दूरी पर ही मूलभूत सुविधाएं मिले

-नौकरी और व्यापार के लिए ज्यादा दूरी तय नहीं करनी पड़े

-सुदृढ़ सार्वजनिक परिवहन सेवा


यहां सेप्ट यूनिवर्सिटी को यह जिम्मा
टोंक रोड पर रामबाग सर्किल से बी2 बाइपास तक और स्टेशन रोड से सिंधी कैम्प तक के रीडवलपलमेंट स्टडी का काम अहमदाबाद की सेप्ट यूनिवर्सिटी को दिया गया है। यहां केन्द्र सरकार की स्कीम के तहत प्लान तैयार कर रहे हैं। इसके लिए फिलहाल 2 करोड़ रुपए मिले हैं।

 

 

कहां कौनसा डवलपमेंट…
1. कैम्पस डवलपमेंट
-नेहरू प्लेस
-ज्योति नगर इलाका
2. लोकल एरिया डवलपमेंट
-टोंक रोड पर रामबाग सर्किल से बी-2 बायपास तक दोनों तरफ 125-125 मीटर चौड़ाई का इलाका।
-स्टेशन रोड से सिंधी कैम्प बस स्टेण्ड तक दोनों तरफ एरिया
यहां भी जरूरत..
-गोपालपुरा बायपास (टोंक रोड से गुर्जर की थड़ी, किसान धर्मकांटा होते हुए अजमेर रोड तक)
-एमआइ रोड पर खासाकोठी से कलक्ट्रेट सर्कल, चिंकारा कैंटीन होते हुए झोटवाड़ा तक
-मालवीय नगर में अपेक्स सर्कल से झालाना बायपास, जवाहर नगर बायपास, ट्रांसपोर्ट नगर होते हुए दिल्ली रोड कुंडा तक

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