सिक्किम में झड़प के दौरान ही चीन ने लद्दाख सीमा पर भेजे थे हेलिकॉप्टर
नई दिल्ली. कोरोना संकट के बीच लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास चीन की सेना के हेलिकॉप्टर दिखने के बाद भारतीय वायुसेना सतर्क हो गई है।
भारतीय वायुसेना ने भी सुखोई समेत दूसरे लड़ाकू विमानों से पेट्रोलिंग शुरू कर दी है। सुखोई-30 एमकेआइ 2400 किमी प्रतिघंटे से ज्यादा की रफ्तार से 5 हजार किमी तक उड़ान भर सकता है। 18 हजार किलो वजन ले जाने में सक्षम ये विमान एयर टू एयर री-फिलिंग के चलते अपनी रेंज और बढ़ा सकता है। चीन के हेलिकॉप्टर उसी दौरान देखे गए, जब उत्तरी सिक्किम में चीन और भारतीय सैनिकों में झड़प हुई थी। चीन के हेलिकॉप्टरों ने एलएसी क्रॉस नहीं की है। नाकूला सेक्टर में 9 मई को भारत-चीन के सैनिकों में हुई झड़प में दोनों तरफ के जवान घायल हुए थे। एलएसी के 10 किमी के क्षेत्र में फाइटर जेट व 4 किमी के क्षेत्र में हेलिकॉप्टर उड़ाना मना है।
लेह और थोईस दो एयरबेस
भारतीय वायुसेना के लेह और थोईस एयरबेस सहित लद्दाख क्षेत्र में दो प्रमुख एयरबेस हैं। यहां लड़ाकू विमान स्थायी रूप से नहीं होते हैं, मगर लड़ाकू विमान स्क्वाड्रन की एक टुकड़ी सालभर यहां परिचालन की स्थिति में रहती है। इससे पहले भी कई मौकों पर चीनी सैन्य हेलिकॉप्टरों ने लद्दाख सेक्टर में में प्रवेश किया है।
भरणी, अश्लेषा करते हैं चौकीदारी
डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (डीआरडीओ) ने ‘भरणी’ और ‘अश्लेषा’ नामक दो लाइटवेट रडार तैयार किए हैं। इन्हें सीमा के पास तैनात किया है। दोनों रडार के नाम भारतीय नक्षत्रों के नाम पर हैं। ‘भरणी’ 2डी है इसे खासतौर से पहाड़ी इलाकों में तैनाती के लिए बनाया है। अश्लेषा 3डी है। यह किसी भी इलाके में तैनात किया जा सकता है।