शिक्षा विभाग ने बच्चों को गौ माता का दूध उपलब्ध कराने वाले आदेश पर यू टर्न लेते हुए सोशल साइट एक्स पर स्पष्टीकरण दिया। शिक्षा विभाग ने लिखा कि अशोक असीजा, एडिशनल डायरेक्टर माध्यमिक शिक्षा बीकानेर द्वारा 5 मार्च को आयुक्त राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद् को आवश्यक करवाई के लिए पत्र लिखा गया था। जिसमें राज्य के समस्त विद्यालयों में साफ-सुथरे शौचालय मय जल की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए कहा गया था। लेकिन, पत्र में विद्यालयों में छात्र-छात्राओं को गाय का प्राकृतिक दूध उपलब्ध कराने के कोई निर्देश नहीं दिए गए थे।
शिक्षा विभाग ने बताया कि मीड डे मील कार्यालय जयपुर से विद्यालयों में विद्यार्थियों को गाय का प्राकृतिक दूध उपलब्ध कराने के कोई निर्देश नहीं दिए गए थे। राज्य सरकार के स्तर से भी कोई ऐसा निर्देश नहीं जारी किया गया है और न ही कोई पत्र भेजा गया है। ऐसे में यह तो साफ है कि अभी बच्चोंं को स्कूलों में पाउडर वाला दूध ही पीना पड़ेगा।
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शिक्षा विभाग ने स्कूलों में गौ माता का दूध सप्लाई करने और बच्चों को पाउडर के दूध से छुटकारा दिलाने के अधिकारियों को निर्देश दिए थे। लेकिन, शिक्षा विभाग के इस आदेश के बाद सवाल उठने लगे थे कि आखिर रोजाना इतना दूध कहां से आएगा? ऐसे में अब शिक्षा विभा को अपना आदेश वापस लेना पड़ा।
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दरअसल, शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के स्कूलों में दिए जाने वाले पाउडर दूध की जगह अच्छी व्यवस्था लागू करने की घोषणा करने के बाद शिक्षा निदेशालय से लेकर आयुक्तालय मिड डे मील तथा राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद तक हरकत में आ गया था। माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने तो स्कूल शिक्षा परिषद के राज्य परियोजना निदेशक एवं आयुक्त को इस बारे में पत्र भी लिखा था। इसमें सरकारी स्कूलों में पाउडर वाले दूध के स्थान पर गौ माता का प्राकृतिक ताजा दूध उपलब्ध कराने के राज्य सरकार के निर्देशों का जिक्र किया गया था।
बता दे कि पहले गांव के बच्चों को गौपालक से दूध लेकर तथा शहरी स्कूलों के बच्चों को डेयरी का दूध दिया जाता था, लेकिन कोरोनाकाल में दूध वितरण योजना ठप हो गई थी। कोरोना के बाद जब इसे पुनः मुख्यमंत्री बाल गोपाल योजना के नाम से शुरू किया गया, तो पाउडर के दूध की सप्लाई देनी शुरू की। इस योजना के तहत अभी कक्षा एक से पांच तक के बच्चों को 15 ग्राम पाउडर दूध से 150 मिलीलीटर दूध तथा कक्षा छह से आठ के बच्चों को 20 ग्राम पाउडर दूध से 200 मिलीलीटर दूध मिलता है।