1- थ्री टियर बेनिफिट …
अब तक कैप्टिव पावर प्लांट से हर 15 मिनट में उत्पादित होने वाली सोलर एनर्जी (75 प्रतिशत तक) को उसी समय उपयोग करने की बंदिश थी। ऐसा न होने पर वह डिस्कॉम के ग्रिड में चली जाती थी और निवेशक को उस बिजली का न पैसा मिलता था और न ही वह उपयोग कर पाता था। इसमें इंटरास्टेट (अंतरराज्यीय) प्रोजेक्ट शामिल हैं। राजस्थान में ऐसे 300 मेगावाट क्षमता के प्रोजेक्ट हैं। अब 15 मिनट ब्लॉक में उपयोग करने की बंदिश हटा दी है। बिजली को एक माह तक कभी भी उपयोग (वीक ऑवर को छोड़कर) में ले सकेंगे। एक माह बाद भी पूरी बिजली उपयोग नहीं हुई तो एक साल तक छूट मिलेगी, हालांकि इस दौरान 8 प्रतिशत पैसा कट जाएगा।राजस्थान विद्युत विनियामक आयोग ने फैसला लिया है कि ईवी चार्जिंग स्टेशन पर ट्रांसमिशन व्हीलिंग चार्ज में अब 100 प्रतिशत छूट मिलेगी, साथ ही ग्रीन एनर्जी टैरिफ तय होगा।
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2. इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशन
अभी तक- इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशन के लिए ओपन एक्सेस से लेने पर ट्रांसमिशन व्हीलिंग चार्ज करीब 2 रुपए प्रति यूनिट लगता था। अब यह- ट्रांसमिशन व्हीलिंग चार्ज में 100 प्रतिशत छूट मिलेगी। यानि, रिन्यूएबल एनर्जी आधारित स्टेशन लगाने पर फायदा होगा।
3- डिस्कॉम की रोक-टोक खत्म
अभी तक-सोलर या विंड एनर्जी प्लांट लगाने वालों पर बंदिश है कि कुल प्लांट क्षमता के 25 प्रतिशत से ज्यादा उत्पादन नहीं करें। इससे ज्यादा पर पेनल्टी लगती थी। डिस्कॉम ज्यादा उत्पादन पर रोक-टोक भी करता है। अब ऐसी कोई तकनीक है, जिससे प्रोजेक्ट क्षमता तक उत्पादन हो सकता है तो उत्पादक उतनी बिजली बना सकेगा।
यह भी…
पम्प या बैटरी स्टोरेज के साथ प्लांट लगाने पर व्हीलिंग चार्ज पर 75 प्रतिशत की छूट मिलेगी।
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