इसरो का इतिहास जब भी लिखा जाएगा और उसमें चंद्रयान-3 और मिशन मंगल का नाम लिखा जाएगा तब उसमें दौसा के वैज्ञानिक अशोक शर्मा का नाम सुनहरे अक्षरों में दर्ज होगा। अशोक शर्मा दौसा जिले के नांगल बैरसी के रहने वाले हैं। अशोक शर्मा को चंद्रयान की लैंडिंग के लिए अंतरिक्ष नियंत्रक के पद पर रहकर कंट्रोलिंग करने का मौका मिला। अशोक कुमार शर्मा ने कंप्यूटर साइंस में बी.टेक किया फिर एम.टेक भी किया। छोटे भाई पंकज शर्मा ने बताया कि साल 2008 में भाई अशोक का चयन इसरो में हुआ था। लगभग पांच साल बाद उनको मिशन मंगल में काम करने का मौका मिला। साल 2016 में अशोक कुमार शर्मा का तबादला लखनऊ कर दिया गया। फिर अशोक को मिशन चंद्रयान 3 के लिए लखनऊ से बेंगलुरु बुलाया गया और खुशी की बात यह है कि मिशन चंद्रयान थर्ड सफल हुआ। इसके साथ ही चंद्रयान-3 टीम में राजस्थान के भीलवाड़ा के अनिरूद्ध कृष्ण उपाध्याय और वैभव उपाध्याय का भी अहम योगदान रहा।
बधाई देने वालों का तांताचंद्रयान 3 बुधवार शाम जैसे ही चंद्रमा पर लैंड हुआ। इसरो वैज्ञानिक अशोक शर्मा के घर पर बधाई देने वालों का तांता लग गया। जयपुर स्थित अशोक शर्मा के घर के बाहर पटाखे जलाए गए और मिठाइयां खिलाई गई।
बचपन से वैज्ञानिक बनने की इच्छामां गुलाब देवी और पिता लक्ष्मीनारायण बेहद खुश नजर आए। कहा – अशोक का वैज्ञानिक बनने का बचपन से रुझान था। मिशन चंद्रयान 3 की सफलता से दौसा का नाम भी बड़े आदर सम्मान के साथ दर्ज हुआ है।
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