जयपुर

Chandrayaan-3 Landing : सीएम गहलोत ने सफल लैंडिंग के लिए वैज्ञानिकों को दी बधाई, नेहरू-इंदिरा का भी किया जिक्र

Chandrayaan-3 Successful Landing : चंद्रयान-3 आज सफलतापूर्वक चांद की सतह पर लैंडिंग कर ली। पूर्व सोवियत संघ, अमरीका और चीन के बाद चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला भारत चौथा देश बन गया है, जबकि, चंद्रमा के दक्षिणी धू्रव पर उतरने वाला पहला देश बन गया है।

जयपुरAug 23, 2023 / 07:59 pm

जमील खान

Chandrayaan-3 Successful Landing

Chandrayaan-3 uccessful Landing : चंद्रयान-3 आज सफलतापूर्वक चांद की सतह पर लैंडिंग कर ली। पूर्व सोवियत संघ, अमरीका और चीन के बाद चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला भारत चौथा देश बन गया है। जबकि, चंद्रमा के दक्षिणी धू्रव पर उतरने वाला पहला देश बन गया है। ब्रिक्स सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए दक्षिण अफ्रीका गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ISRO सहित पूरे देशवासियों को मुबारक बाद दी है। वहीं, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी चंद्रायन की सफल लैंडिंग के लिए इसरो के तमाम वैज्ञानिकों, देशवासियों और प्रदेश की जनता को बधाई दी है।

मुख्यमंत्री गहलोत ने आज अपने सरकारी आवास पर स्कूली बच्चों सहित विभिन्न लोगों के साथ चंद्रायन की सफल लैंडिंग का लाइव प्रोग्राम देखा। चंद्रायन की लैंडिंग के बाद अपने आवास पर मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा हम सबकी ओर से सभी वैज्ञानिकों को चंद्रायन की सफल लैंडिंग की शुभकामनाएं। इसरो के वैज्ञानिकों की वर्षों की कड़ी मेहनत से आज यह ऐतिहासिक पल आ गया। पूरे देश को इस पल का इंतजार था। यह एक ऐतिहासिक क्षण है पूरा देश गौरव महसूस कर रहे हैं। हम लंबा समय तय करके यहां तक पहुंचे हैं।

उन्होंने आगे कहा, देश की आजादी के बाद 1959 में चांद पर जाने की तैयारियां शुरू हो गई थीं। देश के प्रथम प्रधानमंत्री नेहरू ने पहले भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति की स्थापना की थी। इसे 1962 में स्थापित किया गया था। इसके बाद पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 15 अगस्त, 1969 को नाम इसका नाम बदलकर इसरो किया और मुख्यालय बेंगलूरु कि या। तभी से ही चंद्रायन की शुरुआत और लॉंन्चिंग पर काम शुरू हो गया था। कितनी लंबी सोच थी हमारे नेताओं की जिन्होंने साइंस एंड टेक्नोलॉजी में इंट्रेस्ट लेना शुरू किया। इसका नतीजा यह हुआ कि रूस, यूस की तरह भारत ने भी इतनी बड़ी उपलब्धि हासिल करने वाला देश बन गया है।

उन्होंने कहा, राजस्थान सरकार भी साइंस एंड टेक्नोलॉजी को लेकर अहम कदम उठा रही है। मेरा मानना है कि सफलता पाने के लिए वैज्ञानिक सोच रखनी चाहिए। इसके लिए जरूरी नहीं है कि आप साइंस के स्टूडेंट हों। राजधानी जयपुर में प्राचीन काल से ही जंतर मंतर बनी हुई है, जहां अंतरिक्ष से संबंधित काम चला आ रहा है। वैज्ञानिक सोच विकसित करने के लिए काम कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा, राजस्थान की धरती पर खगोलीय वैज्ञानिक को लेकर जिज्ञासा रही है।

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हमारी सरकार युवाओं के बीच खगोलीय और अंतरिक्ष विज्ञान को लेकर वैज्ञानिक समझ को विक सित करने के लिए कदम उठा रही है। इसके लिए प्रदेश के करीब 1500 राजकीय विद्यालयों में कक्षा ६ से लेकर 12वीं के विद्यार्थियों के लिए साइंस एंड स्पैस लैब खोले जा रहे हैं। नासा के सहयोग से कक्षा 6 से 12वीं के छात्र-छात्राओं के लिए एस्ट्रायड खोज अभियान चला रहे हैं। वहीं, कोटा, उदयपुर, जोधपुर में करीब 10-10 करोड़ की लागत से प्लेनोटोरियम बना रहे हैं। झुंझुनूं जिले के नवलगढ़ में साइंस पार्क विकसित कर रहे हैं। युवाओं में वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने के लिए बीकानेर, कोटा, भरतपुर में करीब 75 करोड़ की लागत से विज्ञान केंद्र स्थापित किए जाएंगे।

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