इन सब दुष्परिणामों के बाद बाद अब केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) जागा है और उसने इसपर नियंत्रण करने की तैयारी करनी शुरू कर दी है। अब जयपुर, जोधपुर और कोटा में ध्वनि प्रदूषण की रियल टाइम मॉनिटरिंग होगी। इसके लिए इन शहरों में रियल टाइम परिवेशी ध्वनि जांच केन्द्र बनाए जाएंगे। ये सब राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल (आरएसपीसीबी) की निगरानी में किया जाएगा। तीनों शहरों के आवासीय क्षेत्र, शांत क्षेत्र के अलावा व्यावसायिक व औद्योगिक क्षेत्रों में ध्वनि प्रदूषण की रियल टाइम मॉनिटरिंग के लिए 4-4 केन्द्र बनाए जाएंगे और शहर में जगह-जगह डिस्प्ले बोर्ड लगाए जाएंगे, जिससे लोगों को ध्वनि प्रदूषण के बारे में आम आदमी भी जान सके। जल्द ही इसके टेंडर जारी होंगे और इसी वित्तीय वर्ष से इन शहरों में ध्वनि प्रदूषण की मॉनीटरियंग शुरू हो सकेगी।
आरएसपीसीबी की ओर से अभी माह में एक बार ही मैन्युअली ध्वनि की गुणवत्ता की जांच की जा रही है। प्रदेश के 36 शहरों में मंडल के कार्मिक आवासीय, शांत, व्यावसायिक और औद्योगिक क्षेत्रों में जाकर 178 स्थानों पर ध्वनि प्रदूषण की जांच कर रहे हैं।
इस वित्तीय वर्ष में बनाए जाएंगे जांच केंद्र
ध्वनि प्रदूषण की मॉनिटरिंग के लिए जयपुर, जोधपुर व कोटा में रियल टाइम परिवेशी ध्वनि जांच केन्द्र इसी वित्तीय वर्ष में बनाए जाएंगे। इससे जनता जागरूक होगी, वहीं संबंधित विभाग ध्वनि प्रदूषण रोकथाम पर प्रभावी कार्रवाई कर सकेंगे।
विजय एन., सदस्य सचिव, राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल किस शहर में कितना ध्वनि प्रदूषण
नवंबर—2024 की स्थिति शहर — शांत क्षेत्र — आवासीय — व्यावसायिक — औद्योगिक
जयपुर — 67 — 69.5 — 74.1 — 67.5
जोधपुर — 45.8 — 46.2 — 50.8 — 46.5
कोटा — 66.7 — 60.3 — 75.2 — 61
दिसंबर—2024 की स्थिति शहर — शांत क्षेत्र — आवासीय — व्यावसायिक — औद्योगिक
जयपुर — 71.8 — 67.2 — 73.2 — 68.1
जोधपुर — 53.4 — 53.8 — 62.5 — 61.4
कोटो — 60.7 — 63.5 — 73.7 — 63.1
(ध्वनि प्रदूषण डेसीबल में)
औसत आयु 5 वर्ष तक कर सकती है कम प्रदूषित हवा
वाहनों की तेजी से बढ़ती संख्या और शहरों के बीच बने उद्योगों से निकल रहा धुआं लोगों की औसत आयु घटाने के साथ ही इंफ्लूएंजा वायरस के प्रासार की आशंका भी बढ़ा रहा है। एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) की एक रिपोर्ट के अनुसार वायू प्रदूषण के कारण भारतीय लोगों की आयु 5 वर्ष 8 माह घटने की आशंका है। इसके अनुसार वायु प्रदूषण वैश्विक बीमारी और मृत्यु का चौथा प्रमुख कारण बन चुका है। भारत की राजधानी दिल्ली, राजस्थान की राजधानी जयपुर सहित देश के कई बड़े शहर वायू प्रदूषण की समस्या से जूझ रहे हैं। वर्ष 2022 में भारत के कई शहर विश्व के प्रदूषित शहरों में शामिल थे। अलग-अलग अध्ययनों से पता चला है कि वायु प्रदूषण न केवल मानव प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करता है बल्कि वातावरण में लंबे समय तक बना रहता है। इससे मनुष्यों में इन्फ्लूएंजा वायरस की आशंका भी बढ़ जाती है। रिपोर्ट के अनुसार 2.5 व्यास से कम वाले पीएम 2.5 कण, श्वसन पथ में गहराई तक प्रवेश कर सकते हैं, जिससे गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा हो सकते हैं। सांस में नाइट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड तथा अन्य वायु प्रदूषक लेने से लोगों की श्वसन प्रणाली को नुकसान पहुंच सकता है और वायु मार्ग में परेशानी हो सकती है। इससे सांस लेने में तकलीफ, खांसी, घरघराहट और सीने में दर्द जैसे लक्षण भी हो सकते हैं।
प्रदूषित हवा फ्लू के लक्षणों को बढ़ा सकती है, जिससे व्यक्ति को ज्यादा परेशानी महसूस हो सकती है। इन्फ्लूएंजा सभी उम्र के लोगों को प्रभावित करता है।
डॉ. पुनीत सक्सेना, वरिष्ठ प्रोफेसर, मेडिसिन, एसएमएस मेडिकल कॉलेज जयपुर
केन्द्र ने दिए 2.4 करोड़ रुपए
ध्वनि प्रदूषण की रियल टाइम मॉनिटरिंग के लिए सीपीसीबी ने राज्य को 2.4 करोड़ रुपए दिए हैं। अब 50 फीसदी हिस्सा राशि राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल को वहन करेगा। इसकी स्वीकृति के लिए फाइल विभाग के सचिव के पास गई हुई है। वहां से स्वीकृति मिलते ही इस पर काम शुरू होगा।